देश भर की ताप बिजली उत्पादन इकाइयों में कोयले की आपूर्ति में कमी आने के बाद देश की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादन कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड राज्यों को आपूर्ति बढ़ाने के लिए विभिन्न तरीकों पर विचार कर रही है। कंपनी कोयले की कमी के बीच विद्युत आपूर्ति में सुधार लाने के लिए गैस से चलने वाली इकाइयों पर भी भरोसा जता रही है।
बहरहाल, एनटीपीसी ने कहा है कि राज्य गैस आधारित स्टेशनों से बिजली लेने की तैयारी नहीं कर रहे हैं बल्कि वे ग्रिड से इसे प्राप्त कर रहे हैं। कोयला से चलने वाली बिजली इकाइयों, जलविद्युत और अक्षय ऊर्जा के मुकाबले गैस से चलने वाली इकाइयां बिजली महंगी दरों पर बेचती हैं क्योंकि इनमें से अधिकांश की निर्भरता आयातित गैस पर है।
29 अगस्त को बिजली की सर्वोच्च मांग 173 गीगावॉट रही जबकि सर्वाधिक कमी 201 मेगावॉट की थी। ऊर्जा खपत के संदर्भ में समझें तो मांग 403.2 करोड़ यूनिट की थी जबकि कमी 2.4 करोड़ यूनिट की थी।
एक दिन पहले ऊर्जा की कमी 7.5 करोड़ यूनिट की थी। देश भर की कई ताप विद्युत इकाइयां कोयले की कमी की बात कह रहीं हैं। करीब 87 गीगावॉट की विद्युत उत्पादन क्षमता के पास 8 दिनों से कम के लिए कोयले का भंडार है और 17 गीगावॉट क्षमता के पास 1 दिन से कम के लिए कोयला भंडार है।
एनटीपीसी ने कहा कि कंपनी अपनी आयातित कोयला क्षमता को बढ़ाकर 27 लाख टन करने जा रही है जो कि पहले से किए गए समझौते के तहत ही मंगाए जा रहे हैं। कंपनी कोयले की ज्यादा भंडार वाली इकाइयों से भी कोयला कम भंडार वाली इकाइयों (जहां पर 7 दिन से कम का भंडार बचा है) को भेज रही है।
एनटीपीसी ने एक वक्तव्य में कहा कि वह अपने सभी कैप्टिव खदानों का कोयला उत्पादन बढ़ा रही है। कंपनी की अपनी 10 कोयला खदानें हैं जिनमें से तीन परिचालन में हैं। कंपनी ने कहा कि वह महत्त्वपूर्ण स्टेशनों पर कोयले की आपूर्ति बढ़ाने और जहां जरूरी हो वहां पर रेक को भेजने के लिए कोल इंडिया और रेलवे के साथ समन्वय कर रही है।