चेन्नई के शिवशंकरन समूह की कंपनी शिवा शेल्टर्स ऐंड कंस्ट्रक्शंस प्राइवेट लिमिटेड ने आईएलऐंडएफएस फाइनैंशियल सर्विसेज लिमिटेड के साथ अपने सभी बकाये के निपटान की पेशकश की है। इसके तहत शिवा शेल्टर्स ऐंड कंस्ट्रक्शंस ने मूलधन की पूरी रकम और ब्याज का भुगतान करने की बात कही है।
आईएफआईएन को भेजे गए निपटान प्रस्ताव के अनुसार, शिवा शेल्टर्स ने कहा है कि आईएफआईएन द्वारा किए गए 76 करोड़ रुपये के बकाये के दावे में वह 50 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी और बकाये की पूरी तरह अदायगी होने तक 14 फीसदी सालाना दर पर ब्याज अदा करेगी जो करीब 17.23 करोड़ रुपये होता है। कंपनी ने पूरे बकाये का भुगतान होने तक सालाना जुर्माना ब्याज भी अदा करने का वादा किया है।
शिवा शेल्टर्स ने कहा कि वह बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर होने के तुरंत बाद 20 फीसदी रकम का भुगतान करने के लिए तैयार है। उसने अगले साल मार्च तक पूरी रकम अदा करने का वादा किया है। समूह ने कहा कि निपटान के लिए रकम की व्यवस्था अपनी परिसंपत्तियों की बिक्री और मित्रों एवं रिश्तेदारों से रकम जुटाकर करेगी।
शिवा समूह ने समूह की अन्य कंपनियों के बकाये को भी निपटाने की पेशकश की है। आईएलऐंडएफएस का शिवशंकरन समूह की कंपनियों पर काफी बकाया है क्योंकि उसने शिवा समूह की कंपनियों के डिवेंचर खरीदे थे। अदालतों को दी गई जानकारी के अनुसार मार्च 2015 तक आईएफआईएन का शिवा समूह की कंपनियों पर कुल बकाया करीब 184 करोड़ रुपये था। एसएफआईओ ने जून 2019 में आईएफआईएन के अधिकारियों के खिलाफएक आरोपपत्र दायर किया था जिसमें पर्याप्त कवर के बिना शिवा समूह की कंपनियों को ऋण देने का आरोप लगाया गया था।
दिसंबर 2015 के दौरान आईएफआईएन ने शिवा समूह के वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचरों की खरीदारी की थी जो प्रभावी तौर पर ब्याज मुक्त डिबेंचर है। इन डिबेंचरों को पांच साल तक प्रतिभूति रहित किया गया था। आरबीआई ने निरीक्षण के दौरान इस प्रकार के निवेश पर 100 फीसदी कम मूल्य की सिफारिश की है। आईएलऐंडएफएस संकट 2018 में उस दौरान उजागर हुआ जब वह खुद अपने लेनदारों को पुनर्भुगतान करने में विफल रहा। इसके बाद नियामकीय एजेंसियों द्वारा कई तरह की जांच शुरू की गई थी। आईएलऐंडएफएस संकट के उजागर होने के समय यह समूह सैकड़ों सहायक कंपनियों के जटिल नेटवर्क को संचालित कर रहा था और उसका कुल ऋण बोझ करीब 94,000 करोड़ रुपये था।
शिवा समूह की कंपनियों ने सरकारी बैंकों के बकाये को भी निपटाने की पेशकश की है। अगस्त 2021 में नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के चेन्नई पीठ ने शिवा इंडस्ट्रीज की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) 2016 की धारा 12 ए के तहत सरकारी बैंकों के 5,000 करोड़ रुपये के बकाये को निपटाने की बात कही गई थी। ट्रिब्यूनल ने कहा था कि इस निपटान प्रस्ताव से बैंकों को उनके बकाये का महज 6 फीसदी भुगतान ही हो पाएगा। मामला फिलहाल एनसीएलएटी में लंबित है।
