आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व में भारतीय लेनदारों ने ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के तहत शिवा इंडस्ट्रीज के एकमुश्त निपटान प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत लेनदारों को 5 करोड़ रुपये अग्रिम नकद के रूप में मिलेंगे
और शेष रकम का भुगतान नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मंजूरी मिलने के 180 दिनों के भीतर किया जाएगा। लेनदारों का कंपनी पर 4,863 करोड़ रुपये का बकाया है जिसमें से उन्हें महज 318 करोड़ रुपये ही हासिल हो सकेंगे। इस प्रकार लेनदारों को अपने बकाये पर 93.5 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ेगा।
शिवा समूह के एक सूत्र ने बताया कि इंटरनैशनल ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (आईएआरसीपीएल) और यूएई की कंपनी मसदर एनर्जी लिमिटेड ने डिफॉल्ट के बाद भारतीय बैंकों से 40 फीसदी से अधिक कर्ज लिया है। इस मामले के एक करीबी सूत्र ने कहा, ‘आईएआरसीएल ने 500 करोड़ रुपये में केनरा बैंक के ऋण को खरीद लिया है। कंपनी पर केनरा बैंक का 1,150 करोड़ रुपये का बकाया है और उसे 100 करोड़ रुपये पहेल ही मिल चुके हैं। केनरा के पास अभी भी कुछ भूमि है जिसकी कीमत करीब 520 करोड़ रुपये है।’
सी. शिवशंकरन द्वारा स्थापित शिवा इंडस्ट्रीज ऐंड होल्डिंग्स लिमिटेड (शिवा इंडस्ट्रीज) के लेनदारों ने ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) 2016 की धारा 12 ए के तहत नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के चेन्नई पीठ में एक याचिका दायर की है। इसमें कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया को वापस लेने की बात कही गई है। शिवा समूह के एक करीबी सूत्र ने बताया कि शिवशंकरन एक दशक से अधिक समय से कंपनी से संबद्ध नहीं हैं और कंपनी का संचालन परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा किया जाता था।
शिवा इंडस्ट्रीज के खिलाफ दिवालिया अदालत में 5 जुलाई 2019 को शिकायत की गई थी। रॉयल पार्टनर्स इन्वेस्टमेंट फंड लिमिटेड द्वारा की गई पेशकश को बैंकों का समर्थन नहीं मिला और उसे खारिज कर दिया गया। उसके बाद रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने रजिस्ट्री के समक्ष एक परिसमापन याचिका दायर की।
लेकिन शिवा इंडस्ट्रीज के एक शेयरधारक वल्लाल आरसीके ने पिछले साल 31 अगस्त को एनसीएलटी के चेन्नई पीठ में एक याचिका दायर कर लेनदारों की समिति को प्रवर्तकों द्वारा की गई एकमुश्त पेशकश पर विचार करने का आग्रह किया। पिछले साल अक्टूबर में एनसीएलटी ने रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल को एकमुश्त निपटान प्रस्ताव पर विचार करने के लिए लेनदारों की समिति की बैठक बुलाने का निर्देश दिया था।
लेनदारों की समिति ने इसी साल अप्रैल में एकमुश्त निपटान प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने आईबीसी की धारा 12ए के तहत दिवालिया प्रक्रिया को वापस लेने संबंधी आवेदन दायर करने के लिए आईडीबीआई बैंक को अधिकृत किया था।
एकमुश्त निपटान प्रस्ताव के अनुसार, निपटान रकम का भुगतान प्रवर्तकों द्वारा स्वयं अथवा संपत्ति की बिक्री या ऋण या परिसंपत्तियों को गिरवी रखकर बाहर से जुटाई गई पूंजी के जरिये किया जाएगा। इसके साथ ही लेनदारों ने इस समाधान योजना के तहत शिवा समूह की कंपनियों के खिलाफ सभी लंबित कानूनी मामलों को वापस लेने के लिए भी सहमति जताई है।
इस योजना को मंजूरी मिलने के बाद शिवा इंडस्ट्रीज के मौजूदा निदेशक मंडल को बहाल किया जाएगा और निपटान रकम की प्राप्ति के बाद शिवा इंडस्ट्रीज के सभी खातों को नियमित कर दिया जाएगा। इस प्रकार प्रवर्तक ताजा ऋण भी उठाा सकेंगे।
