अंतरराष्ट्रीय बाजार में छाई मंदी की मार के असर से ड्राई बल्क बाजार की हालत भी खस्ता हो गई है।
आर्थिक बाजार के मौजूदा हालात के कारण जहाजों की मांग में कमी आई है। इसी के चलते जहाजों के एक दिन का किराया 8.5 लाख रुपये से घटकर 1 लाख रुपये रह गया है। इसी तरह पैनामैक्स और हैंडीमैक्स जहाजों के किराए में भी गिरावट दर्ज की गई है।
इस कारण हो रहे घाटे को कम करने के लिए कई कंपनियों ने भारत समेत कई बड़े रूटों पर जहाजों को भेजना बंद कर दिया है। कई कंपनियों ने मंदी में अपने जहाजों को बंदरगाह पर खड़ा करना ही बेहतर समझा है।
अंतरराष्ट्रीय ड्राई बल्क इंडैक्स के गिरने के साथ ही लौह अयस्क निर्यात में तेजी से आई गिरावट ने कंपनियों के कोढ़ में खाज का काम किया है। इस साल जुलाई-अक्टूबर के दौरान लौह अयस्क का निर्यात 22 फीसदी घटकर 200 लाख टन ही रह गया है।
जबकि पिछले साल इसी समयावधि में देश से लगभग 260 लाख टन लौह अयस्क का निर्यात किया गया था। सिर्फ अक्टूबर के दौरान ही निर्यात 39.44 फीसदी घटकर 49 लाख टन हो गया है।
उद्योग के प्रतिनिधि ने बताया कि घरेलू कार्गो उद्योग के लिए लौह अयस्क निर्यात कमाई का सबसे बड़ा जरिया था। इस निर्यात में कमी होने से कई कार्गो कंपनियों को काफी घाटा हुआ है। देश की बड़ी बंदरगाहों में शुमार चेन्नई बंदरगाह से अगस्त में जहां 185 जहाजों ने अपनी राह पकड़ी थी। वहीं अक्टूबर में यह आंकड़ा घटकर 179 हो गया है।
पैनामैक्स जहाजों की भी यही कहानी है। इस श्रेणी के जहाजों क ा एक दिन का किराया दो महीने पहले जहां लगभग 3 लाख रुपये था। वहीं अब यह घटकर 50,000 रुपये हो गया है। शिपिंग कंपनियों का कहना है कि मौजूदा हालात में जहाजों को बंदरगाह पर खड़ा रखना ही बेहतर विकल्प है।
एशिया में लिक्विफाइड नैचुरल गैस (एलएनजी) की मांग घटने के कारण एलएनजी ले जाने वाले टैंकरों के किराए में भी 46 प्रतिशत की गिरावट आई है। एलएनजी कैरियर का एक दिन का किराया अगस्त में 3.9 लाख रुपये था जो, अक्टूबर में घटकर 2.1 लाख रुपये ही रह गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार कार्गो की कमी के कारण 1,48,000 घन मीटर की क्षमता वाले लगभग 19 एलएनजी जहाज बंदरगाह पर ही खड़े हैं। जहाजों के कारोबार में आई इस गिरावट ने छह साल पहले के सबसे निचले स्तर को छू लिया है।
हैंडीमैक्स जहाजों क ा किराया सितंबर में जहां 6 लाख रुपये प्रतिदिन था। लेकिन नवंबर में यह आंकड़ा 17 फ ीसदी घटकर 5 लाख रुपये हो गया।