हैदाराबाद की कंपनी शिल्पा मेडिकेयर अपने धारवाड़ संयंत्र में कैडिला हेल्थकेयर के डीएनए प्लाज्मिड टीका जायकोव डी के लिए कच्चे माल का उत्पादन करेगी। डायकोव डी दुनिया का ऐसा पहला डीएनए टीका है जिसे मंजूरी मिल चुकी है। साथ ही यह ऐसा पहला टीका है जिसे भारत में 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए मंजूरी दी गई है।
हालांकि कंपनी ने अभी यह नहीं बताया है कि जायकोव डी के लिए कितनी मात्रा में कच्चे माल का उत्पादन किया जाएगा। समझौते के तहत शिल्पा मेडिकेयर की सहायक इकाई शिल्पा बायोलॉजिकल्स इस टीके लिए कच्चे माल का उत्पादन करेगी जबकि जायडस टीके को शीशियों में भरने, पैकिंग और वितरण का काम संभालेगी।
स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में दोनों कंपनियों ने कहा है कि शिल्पा बायोलॉजिकल्स कर्नाटक के धारवाड़ के अपने एकीकृत आरऐंडी एवं विनिर्माण संयंत्र में जायकोव डी के लिए कच्चे माल का उत्पादन करेगी। बयान में कहा गया है, ‘इस संयंत्र से जायकोव डी टीके का लक्षित उत्पादन को दोनों पक्षों की आपसी सहमति से निर्धारित किया जाएगा।’ कैडिला हेल्थकेयर (जायडस कैडिला) ने इससे पहले संकेत दिया था कि वह जायकोव डी का उत्पादन बढ़ाने के लिए साझेदारों की तलाश में है। कंपनी ने जायकोव डी के विकास पर अब तक 400 से 500 करोड़ रुपये का निवेश किया है जिसमें विनिर्माण संयंत्रों की स्थाना भी शामिल है।
जायडस कैडिला के प्रबंध निदेशक शर्विल पटेल ने जुलाई में कहा था, ‘हमने अपने मौजूदा संयंत्र को नए सिरे से दुरुस्त किया है जहां हम फिलहाल उत्पादन कर रहे हैं। इसके अलावा हमारा एक नया संयंत्र जुलाई के अंत तक तैयार हो जाएगा। अगस्त तक हमारी क्षमता हर महीने 1 करोड़ खुराक के उत्पादन की हो जानी चाहिए। जबकि इस साल के अंत तक हम जायकोव डी की 5 करोड़ खुराक बना लेंगे।’ शिल्पा बायोलॉजिकल्स का धारवाड़ संयंत्र डीएनए टीके, एडेनोवायलर एवं सबयूनिट वैक्सीन, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी और फ्यूजन प्रोटीज जैसे अन्य बायोलॉजिक उत्पादों की भी आपूर्ति करेगा। वह रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के लिए स्पूतनिक वी टीके का भी उत्पादन कर रहा है।
