रॉयल डच शेल की एक इकाई, शेल ओवरसीज इन्वेस्टमेंट्स और ईकेआई एनर्जी सर्विसेज मिलकर, भारत में कार्बन कैप्चर के लिए प्रकृति आधारित समाधानों (एनबीएस) पर केंद्रित एक संयुक्त उद्यम पर जोर देंगी। ईकेआई के एक बयान के अनुसार, ‘यह संयुक्त उपक्रम प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण और वृद्धि के लिए काम करेगा जैसे कि वन, कृषि, घास के मैदानों, दलदली जमीनों और ब्लू कार्बन के लिए। इससे उत्सर्जन या वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की कम सांद्रता रोकी जा सकती है।’
इस संयुक्त उपक्रम का केंद्र बिंदु किन क्षेत्रों में रहेगा इसका ब्योरा देते हुए ईकेआई एनर्जी सर्विसेज के अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनीष डाबकारा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम प्रकृति आधारित समाधान से जुड़ी परियोजनाओं पर जमीनी स्तर पर अमल करेंगे। इसका मतलब यह है कि ये परियोजना, कार्बन को वातावरण से अलग करने में मदद करेगी। कार्बन को अलग करने वाले क्षेत्र में कोई भी अत्यधिक व्यवहारिक वाणिज्यिक प्रौद्योगिकी मौजूद नहीं है ऐसे में अगर हम वातावरण से कार्बन की मात्रा कम करना चाहते हैं तब प्रकृति आधारित समाधान ही सबसे अच्छा समाधान है।’
शेल के महाप्रबंधक (एशिया-प्रशांत क्षेत्र, नेचर बेस्ड सॉल्यूशंस) काजीम खान ने कहा, ‘शेल ने 2050 तक शून्य उत्सर्जन वाला ऊर्जा कारोबार बनने का लक्ष्य रखा है। इस संयुक्त उद्यम और ईकेआई के साथ सहयोग के माध्यम से, हम प्रकृति के जलवायु परिवर्तन शमन क्षमता की संभावनाओं में मदद करने के लिए तत्पर हैं।’
डाबकारा ने कहा, ‘कार्बन क्रेडिट, इन प्रकृति आधारित समाधान वाली परियोजनाओं से तैयार होंगी और इसका इस्तेमाल या तो शेल द्वारा अपने ग्राहकों की आंतरिक खपत के लिए इस्तेमाल किया जाएगा या फिर हम खुले बाजार में उन क्रेडिट को बेचने का विकल्प भी खुला रखेंगे जिसका अर्थ यह भी हुआ कि वैश्विक कंपनियां कार्बन को अलग करने पर आधारित कार्बन क्रेडिट चाहती हैं।’
