सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने ब्रिटेन की दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका के जरिये यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) के पास विपणन (मार्केटिंग) अधिकार के लिए आवेदन किया है। एसआईआई के सूत्रों के हवाले से यह खबर आई है। कंपनी ने यह आवेदन तब किया है जब कोविशील्ड की खुराक लेने वाले लोगों के यूरोपीय संघ (ईयू) के देशों में प्रवेश को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
भारत में अब तक 28.7 करोड़ कोविशील्ड के टीके दिए गए हैं (जिनमें पहली और दूसरी खुराक दोनों शामिल हैं) और कंपनी ने दुनिया भर में टीके की 7 करोड़ खुराक का निर्यात किया है। अगर कोविशील्ड पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध जारी रहते हैं तब कम से कम कुछ करोड़ लोगों को यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में जाने या यात्रा करने की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
कंपनी के एक सूत्र ने इस बात की पुष्टि की है कि एसआईआई ने ईयू में मार्केटिंग की मंजूरी के लिए आवेदन दिया है। एक सूत्र ने कहा कि यह मुद्दा एक महीने के भीतर हल हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमने एस्ट्राजेनेका के जरिये ईएमए से मंजूरी के लिए आवेदन दिया है। हम ईयू में टीका नहीं बेचेंगे। लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि जिन लोगों ने कोविशील्ड टीका लिया है उन्हें यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में प्रवेश मिल सके इसके लिए मार्केटिंग अधिकार के लिए आवेदन किया है।’
उन्होंने कहा कि कोविशील्ड ब्रिटेन-एमएचआरए द्वारा मान्यता प्राप्त है और एसआईआई ने कम और मध्यम आमदनी वाले देशों के अलावा ब्रिटेन और कनाडा को इस टीके की आपूर्ति की है। एएनआई ने यूरोपीय संघ के एक अधिकारी के हवाले से कहा, ‘कोविशील्ड के लिए यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) से मंजूरी की संभावित चिंताओं पर ईएमए ने कहा कि उसे मंजूरी के लिए कोई आवेदन नहीं मिला है और यह आवेदन मिलने पर ही इस पर प्रक्रिया के मुताबिक विचार करेगी।’ सूत्रों का दावा है कि भारत सरकार भी उचित राजनयिक माध्यमों से इस मामले में दिलचस्पी ले रही है। एसआईआई, एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफर्ड का टीका कोविशील्ड बनाती है जिसे ब्रिटेन की दवा निर्माता कंपनी वैक्सजेवरिया ब्रांड के तहत बेचती है।
कोविशील्ड को लेकर इस वजह से चिंता बढ़ी कि 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ अब ईयू डिजिटल कोविड प्रमाण पत्र शुरू कर रहा है ताकि यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के भीतर कोविड-19 के दौरान सुरक्षित और स्वतंत्र आवाजाही की सुविधा बरकरार रहे। यह एक तरह से सबूत है कि यात्रियों ने कोविड-19 से बचाव के लिए टीका लगाया है। एएनआई ने यूरोपीय संघ के एक अनाम अधिकारी के हवाले से कहा, ‘इस मकसद के लिए, यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के पास यह विकल्प होगा कि वे कोविशील्ड सहित उन सभी टीके को भी स्वीकार करें जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मान्यता दी है।’
इस बीच, अफ्रीका संघ आयोग और अफ्रीका सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (अफ्रीका सीडीसी) ने यूरोपीय संघ आयोग से आग्रह किया है कि वह यूरोपीय संघ समर्थित कोवैक्स सुविधा में उन टीकों की अनिवार्य पहुंच बढ़ाने पर विचार करें जिन टीके को वैश्विक स्तर पर दिया जा सकता है।
अफ्रीका सीडीसी और एयूसी ने कहा, ‘एस्ट्राजेनेका के टीके जिन्हें यूरोप में (वैक्सजेरवरिया) तैयार किया गया और अधिकृत किया गया उन्हें वहां शामिल कर लिया जाता है लेकिन समान फॉर्मूले वाले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के लाइसेंस के तहत तैयार किए गए टीके (कोविशील्ड) को बाहर कर दिया गया है। ऐसे नियमों की वजह से कोविशील्ड टीका लगाने वाले व्यक्ति को टीकाकरण का प्रमाणपत्र दिए जाने के बावजूद सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा जिनमें आवाजाही की सीमाएंए जांच की जरूरत के साथ-साथ इसके कई प्रशासनिक और वित्तीय असर भी होंगे।’ एस्ट्राजेनेका-एसकेबायो (कोरिया) द्वारा तैयार किया गया एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफर्ड कोविड-19 टीके के अन्य संस्करणों के साथ-साथ कोविशील्ड टीके को विश्व स्वास्थ्य संगठन की आपातकालीन इस्तेमाल की सूची (ईयूएल) प्रक्रिया के माध्यम से सुरक्षित और असरदार टीके में से एक टीका माना गया। दोनों ही टीके को 15 फरवरी 2021 में मंजूरी मिली।
सोमवार को एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला ने ट्वीट कर कहा, ‘मुझे महसूस हुआ कि कोविशील्ड ले चुके कई भारतीयों को यूरोपीय संघ के देशों की यात्रा में परेशानी आ रही है। मैं सभी को आश्वस्त करता हूं कि मैंने इस मुद्दे को उच्चतम स्तर पर उठाया है और उम्मीद है कि इस मामले को जल्द ही नियामकों के साथ और विभिन्न देशों के साथ कूटनीतिक स्तर पर सुलझाया जाएगा।’ उनका कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा।