अहमदाबाद की कंपनी कैडिला हेल्थकेयर अपने तीन खुराक वाले टीके जायकोव-डी के लिए देश के दवा नियामक से मंजूरी मिलने की उम्मीद कर रही है। जायडस का टीका दुनिया का पहला डीएनए-प्लाज्मिड टीका होगा जिसे मंजूरी मिलेगी। इस टीके ने तीसरे चरण के परीक्षणों के अंतरिम विश्लेषण में 66.6 फीसदी असर दिखाया है और इसे तीन महीने तक 25 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी रखा जा सकता है।
कंपनी का दावा है कि टीके की तीसरी खुराक लेने वालों में कोविड-19 के सामान्य लक्षण भी नहीं दिखे इसी वजह से इसे मध्यम स्तर की बीमारी से बचाव में शत-प्रतिशत प्रभावी बताया जा रहा है। टीके की दूसरी खुराक लेने के बाद परीक्षण में शामिल लोगों में संक्रमण के गंभीर मामले या मौत की कोई घटना नहीं हुई।
जायकोव-डी का असर जॉनसन ऐंड जॉनसन के एक खुराक वाले टीके की तरह ही है जो मानव एडेनोवायरस वेक्टर एडी26 का इस्तेमाल करती है और यह कोविड-19 बीमारी से बचाव में 66.3 फीसदी असरदार है। वहीं ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके के लिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है, ‘लक्षण वाले कोविड-19 संक्रमण से बचाव में एजेडी1222 टीका 63.9 फीसदी प्रभावी है।’
भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण के अंतरिम विश्लेषण के मुताबिक यह लक्षण वाली कोविड बीमारी से बचाव में 77.6 फीसदी प्रभावी है। वहीं रूस का टीका स्पूतनिक वी, हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में 81,000 परीक्षण में कोविड के गंभीर संक्रमण से बचाव में 97.8 फीसदी प्रभावी दिखा है।
जायडस ने दूसरे क्लीनिकल परीक्षण में किशोरों की सुरक्षा और सहने की क्षमता से जुड़े डेटा जमा किए हैं और इसने अपने तीसरे चरण के परीक्षणों से 1000 किशोरों (12 से 18 वर्ष के बीच) के डेटा भी जुटाए हैं। जायडस कैडिला के प्रबंध निदेशक शर्विल पटेल ने कहा, ‘हम टीके की वांछित प्रतिरोधक प्रतिक्रिया से जुड़े डेटा चार हफ्तों में दवा नियामक के सामने पेश करने वाले हैं।’
यदि पूरी प्रक्रिया सही तरीके से चलती रही तब जायकोव-डी किशोरों के लिए पहला टीका हो सकता है जिसे मंजूरी मिली हो। जायडस का दावा है कि इसका टीका वायरस के डेल्टा स्वरूप से बचाव में भी कारगर रहा है। देश भर में मौजूद 50 से अधिक क्लीनिकल केंद्रों पर इसका अध्ययन कराया गया और कोविड-19 की दूसरी लहर की तेजी के दौरान यह टीका वायरस के म्यूटेंट स्ट्रेन खासतौर पर डेटा स्वरूप से बचाव में प्रभावी दिखा।
जायडस ने भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को दो खुराक (3 मिलीग्राम खुराक का इस्तेमाल कर) के प्रतिरोधक क्षमता से जुड़े डेटा मुहैया कराए हैं जो तीसरी खुराक के समान ही प्रतिरोधक क्षमता को दर्शाता है। पटेल को उम्मीद है कि दो खुराक की मंजूरी के लिए नियामक के साथ बातचीत के लिए सही बिंदु है। करीब 28,000 वॉलंटियर पर टीके के असरदार होने का परीक्षण किया गया जो देश का सबसे बड़ा टीका प्रभावी परीक्षण था और इसमें तीन खुराक दी गई। पहली खुराक के बाद दूसरी खुराक 28 दिन पर और तीसरी खुराक 56 दिन पर दी गई।
शेयर बाजार में दिन के कारोबारी सत्र के दौरान कंपनी की शेयर कीमतों में करीब एक फीसदी तक की गिरावट देखी गई।
पारंपरिक सक्रिय टीके मृत का कमजोर संक्रामक घटक से बने होते हैं। वहीं दूसरी तरफ , डीएनए प्लाज्मिड टीका अपेक्षाकृत नया है जिसमें एंटीजन के लिए जीन वाले डीएनए को डाला जाता है। इससे शरीर एंटीजन से बचाव के लिए प्रतिरोधक क्षमता तैयार करना सीखता है और जब बीमारी फैलाने वाले वायरस का संक्रमण होता है तब शरीर इसके खिलाफ विशेष तरह की एंटीबॉडी तैयार करने में सक्षम होता है। जायडस का दावा है कि इस डीएनए टीके ने बेहतर प्रतिरोधक प्रतिक्रिया दिखाई है।
जायडस ने अब तक जायकोव-डी तैयार करने के लिए 400-500 करोड़ रुपये का निवेश किया है जिसमें संयंत्रों तैयार करने की रकम भी शामिल है।
पटेल ने कहा, ‘हमने मौजूदा संयंत्र में बदलाव किया है जहां हम टीके तैयार कर रहे हैं और हमारा नया संयंत्र जुलाई के अंत तक तैयार हो जाएगा। अगस्त तक एक महीने में 1 करोड़ खुराक बनाने की क्षमता तैयार हो जानी चाहिए और इस साल के अंत तक हम जायकोव-डी की 5 करोड़ खुराक बना लेंगे।’
कंपनी ने टीके का स्टॉक नहीं तैयार किया है लेकिन इसे उम्मीद है कि नियामक से मंजूरी मिलते ही यह टीका बाजार में 45-60 दिनों में उपलब्ध हो सकता है। कंपनी का कहना है टीके को बाजार में पेश किए जाने से पहले टीके की कीमत के बारे में सूचना दी जाएगी।
