महाराष्ट्र सरकार के लिए पिछले दिनों एक अच्छी खबर आई जब इंडोनेशिया के सलीम समूह की कंपनी यूनिवर्सल सक्सेज इंटरप्राइजेज (यूएसई) ने राज्य में 5,000 मेगावाट क्षमता वाला बिजली संयंत्र लगाने की पेशकश की।
राज्य सरकार के लिए यह प्रस्ताव खासा मायने इसलिए भी रखता है क्योंकि सरकार 5,000 मेगावाट बिजली की किल्लत से जूझ भी रही थी। इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यूएसई के अधिकारियों ने कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के सामने कोल आधारित ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए प्रस्तुति दी थी।
इस संयंत्र को राज्य के तटीय इलाके में लगाने की पेशकश की गई है। हालांकि इस अधिकारी ने साफ किया कि संयंत्र लगाने के लिए औपचारिक प्रस्ताव अभी तक सामने नहीं रखा गया है।
कंपनियों की कतार
उन्होंने बताया कि तटीय इलाकों में पहले से ही रिलायंस इन्फ्रा, टाटा पावर कंपनी (टीपीसी), जेएसडब्लू एनर्जी, अल्ट्रा मेगा पावर परियोजना (यूएमपीपी) कंपनियां अपने संयंत्र लगा रही हैं। इस वजह से यूएसई को पहले ही बताया जा चुका है कि तटीय इलाकों में बहुत जगह नहीं बची है।
इसके जवाब में सलीम समूह की इस कंपनी ने कहा कि अगर कोयले के परिवहन के लिए रेल यातायात उपलब्ध हो तो वह तटीय प्रदेशों से दूर संयंत्र लगाने को भी तैयार है। ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े सूत्रों ने बताया कि भले ही महाराष्ट्र सरकार ने 12,500 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 8 कंपनियों के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया है।
लेकिन इनमें से किसी भी परियोजना पर फिलहाल काम शुरू नहीं किया जा सका है। जहां रायगढ़ जिले में 4,000 मेगावाट वाली आर-इन्फ्रा और 1,600 मेगावाट वाली टीपीसी की परियोजनाओं को जमीन के अधिग्रहण में मुश्किलें आ रही हैं, वहीं स्थानीय लोगों के विरोध के कारण सरकार को अल्ट्रा मेगा पावर परियोजना (यूएमपीपी) की 4,000 मेगावाट वाली बिजली परियोजना को रत्नागिरी से हटाकर सिंधुदुर्ग जिले में ले जाना पड़ा है।
दूसरी परियोजनाओं को भी जमीन अधिग्रहण में दिक्कतें होने, कोयले की कमी और स्थानीय अधिकारियों से जरूरी मंजूरियां मिलने में हो रहे विलंब की वजह से खासी मुश्किलें आ रही हैं। इन दिक्कतों के बीच सरकार को भी केवल रत्नागिरि जिले के जयगढ़ में जेएसडब्लू की 1,200 मेगावाट परियोजना के अगले साल के मध्य तक शुरू होने की उम्मीद है।