देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सहायक कंपनी रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड (आरपीएल) पर भी मंदी का असर नजर आने लगा है।
आर्थिक मंदी की वजह से दुनिया भर में तेल की कम होती मांग ने इस कंपनी को भी अपनी कारोबारी योजनाओं में तब्दीली लाने पर मजबूर कर दिया है। आरपीएल ने जामनगर रिफाइनरी के आधे हिस्से से ही उत्पादन शुरू करने की घोषणा की है।
दुनिया भर में नैप्था और ईंधन तेल की मांग में पिछले कुछ समय में खासी कमी आई है, जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम भी काफी कम हो गए हैं। इस साल के अंत तक कंपनी रोजाना 31 किलो टन डीजल और 25 किलो टन पेट्रोल का उत्पादन करना शुरू करेगी।
रिलायंस पेट्रोलियम कंपनी फरवरी के अंत तक ईंधन तेल और पॉलीप्रोपाइलीन का उत्पादन नहीं करेगी। लेकिन कंपनी दिसंबर से सल्फर, पेट कोक और नैप्था का उत्पादन करेगी। विश्लेषकों ने बताया, ‘रिफाइनरी का काम कंपनी द्वारा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही होगा। हालांकि शुरुआत में उत्पादन कम ही किया जाएगा।’
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन की मांग में कमी आने के कारण कंपनियां नए संयंत्रों का उत्पादन कम और मौजूदा संयंत्रों को कुछ समय के लिए बंद करने जैसे कदम उठा रही हैं। विशेष अर्थिक क्षेत्र में लग रही रिलायंस की इस 2.9 करोड़ टन की क्षमता वाली रिफाइनरी अपने सभी उत्पादों का निर्यात करेगी।
कंपनी की योजना इस रिफाइनरी में होने वाले उत्पादन को अमेरिका और यूरोप में निर्यात करने की थी। लेकिन अमेरिका में छाई मंदी के कारण ईंधन की मांग में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमारी रिफाइनरी में हम मांग के अनुरूप ही उत्पादन बढ़ा और घटा सकते हैं। हम रिफाइनरी को पूरी तरह बंद कर नुकसान उठाने के बजाय यहां से कम उत्पादन कर कम कमाई करना चाहेंगे।’
रिलायंस पेट्रोलियम ने इस रिफाइनरी के निर्माण के लिए 27,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। अमेरिका की दिग्गज तेल कंपनी शेवरॉन की भी इस रिफाइनरी में 5 फीसदी हिस्सेदारी है। गुजरात सरकार के मुताबिक कंपनी डीजल और पेट्रोल का निर्यात करने के लिए जगह का चुनाव भी कर चुकी है।
इस मामले से जुड़े गुजरात सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि क च्चे तेल का भंडारन करने के लिए बनाए गए आठ टैंक में से चार टैंकों का इस्तेमाल शुरू हो चुका है। इसके अलावा खासतौर पर रिफाइनरी के लिए लगने वाले 400 मेगावाट की क्षमता वाला बिजली संयंत्र भी परिचालन के लिए तैयार है।
भारत की कु ल रिफाइनिंग क्षमता में इस रिफाइनरी का योगदान 20 फीसदी का होगा। इसी कारण यह देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी मानी जा रही है। कंपनी डीजल और पेट्रोल का उत्पादन करने के साथ ही ईंधन तेल और पॉलीप्रोपाइलीन का उत्पादन रिफाइनरी के पूरी तरह कार्य शुरू करने के बाद ही करेगी।
रिलायंस के अधिकारियों ने बताया कि पूरी रिफाइनरी का काम एक साथ शुरू नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया, ‘कोई भी रिफाइनरी पहले ही दिन पूरी क्षमता के साथ परिचालन कार्य शुरू नहीं करती है। रिफाइनिंग क्षमता को धीरे धीरे बढ़ाया जाता है। परिचालन शुरू होने के कुछ महीने में ही कंपनी पूरी क्षमता के साथ उत्पादन शुरू कर देगी।’
विश्लेषकों का कहना है कि एस्सार ऑयल ने भी अपनी रिफाइनरी शुरू करने के लिए कुछ इसी तरह की रणनीति अपनाई थी। दिल्ली के एक विश्लेषक ने बताया, ‘एस्सार ने परिचालन शुरू करने के लगभग 6 महीने बाद ही पूरी क्षमता से उत्पादन करना शुरू किया।’