रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने आज कहा कि दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) से कंपनी को मध्यस्थता मामले के निपटारे के तहत 7,100 करोड़ रुपये हासिल होंगे। इस रकम का उपयोग कंपनी अपने बहीखाते पर ऋण बोझ को हल्का करने में करेगी।
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के चेयरमैन अनिल अंबानी ने आज कंपनी की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के खिलाफ मुकदमे में जीत हासिल की है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) के पक्ष में मध्यस्थता फैसले को बरकरार रखा है।’ डीएएमईपीएल रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की सहायक इकाई है जो दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो लाइन का परिचालन करती है।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के परिणामस्वरूप डीएएमईपीएल को डीएमआरसी से 7,100 करोड़ रुपये हासिल होंगे जिसका इस्तेमाल आरइन्फ्रा अपने ऋण की अदायगी में करेगी। मार्च 2021 के अनुसार, आरइन्फ्रा का समेकित ऋण बोझ 14,260 करोड़ रुपये और एकल ऋण बोझ 3,808 करोड़ रुपये है। हाल में उसने प्रवर्तक समूह और वर्दे इन्वेस्टमेंट पार्टनर्स एलएलपी से संबद्ध वीएसएफआई होल्डिंग्स से 550 करोड़ रुपये जुटाए थे।
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने पिछले साल 3,600 करोड़ रुपये के एक सौदे के तहत दिल्ली-आगरा टोल रोड में अपनी पूरी हिस्सेदारी क्यूब हाइवेज ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर-3 प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने एसपीवी की ऋण देनदारी को जारी रखने के लिए एक अंतरिम आदेश के तहत एयरपोर्ट एक्सप्रेस की याचिका पर डीएमआरसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। एसपीवी ने 11 बैंकों से 1,600 करोड़ रुपये का ऋण लिया था जिनमें ऐक्सिस बैंक, यूको बैंक, पंजाब ऐंड सिंध बैंक, आंध्रा बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं।
अंबानी ने कहा कि रिलायंस कमर्शियल फाइनैंस (आरसीएफ) और रिलायंस होम फाइनैंस (आरएचएफ) की समाधान प्रक्रिया के सफलतापूर्वक पूरा होने से रिलायंस कैपिटल को अपने कुल कर्ज में 50 फीसदी यानी 20,000 करोड़ रुपये की कमी लाने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि कर्जदाताओं ने इस साल की शुरुआत में आरसीएफ और आरएचएफ का अधिग्रहण करने के लिए ऑथम इन्वेस्टमेंट ऐंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (ऑथम) को सफल बोलीदाता के रूप में चुना था। रिलायंस कैपिटल की रिलायंस कमर्शियल फाइनैंस में 100 फीसदी हिस्सेदारी है। जबकि रिलायंस होम फाइनैंस में वह बहुलांश हिस्सेदार है।
अंबानी ने कहा कि रिलायंस कैपिटल का कुल ऋण बोझ 40,000 करोड़ रुपये है। इन दो वित्त संस्थानों आरसीएफ और आरएचएफ के समाधान की प्रक्रिया के पूरी होने से रिलायंस कैपिटल के कर्ज में कमी आएगी। उन्होंने रिलायंस कैपिटल की सालाना आम बैठक में कहा, इन दो कंपनियों के बीच 20,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज था जो अब रिलायंस कैपिटल के बही-खाते से हट जाएंगे।