रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल में आने वाले कच्चे माल की मांग में कमी आने के कारण गुजरात के जामनगर में अपने पोलिप्रॉपिलीन संयंत्र की क्षमता घटा कर आधी कर दी है।
इस संयंत्र की उत्पादन क्षमता तकरीबन 10 लाख टन सालाना की है जिसमें पिछले 10 दिनों में 50 फीसदी की कमी की जा चुकी है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि चार निर्माण लाइंस में से दो को कंपनी की ओर से बंद कर दिए जाने के बाद उत्पादन क्षमता में यह कमी आई है।
हालांकि आरआईएल ने इस संबंध में मंगलवार को ईमेल पर भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया है। कंपनी की वेबसाइट में कहा गया है कि आरआईएल एशिया की सबसे बड़ी और विश्व की सातवीं सबसे बड़ी पोलिप्रॉपिलीन उत्पादक है। भारत के पोलिप्रॉपिलीन बाजार पर इसका तकरीबन 70 फीसदी नियंत्रण है और यह विश्व की पोलिप्रॉपिलीन जरूरतों के 3 फीसदी हिस्से की आपूर्ति करती है।
एक विश्लेषक ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, ‘पूरे विश्व में सभी जिंसों की मांग में गिरावट आई है। पोलिप्रॉपिलीन भी इसका अपवाद नहीं है।’ पोलिप्रॉपिलीन की कीमतों में तकरीबन 30 फीसदी की गिरावट आई है। वर्ष, 2007 में 4.5 करोड़ टन की मांग की तुलना में 4.9 करोड़ टन पोलिप्रॉपिलीन का उत्पादन किया गया था।
सीमेंट, अनाज और आदि की पैकेजिंग के लिए बोरे बनाने में पोलिप्रॉपिलीन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल ऑटोमोबाइल कलपुर्जों के निर्माण में भी होता है। मुंबई के एक विश्लेषक ने बताया, ‘लोग कारें खरीदने में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं और कंपनियां उत्पादन में कटौती कर रही हैं। इसलिए सामानों के लिए मांग में कमी आई है। ऐसे में पोलिप्रॉपिलीन की मांग में भी और गिरावट आएगी।’