सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में ऑफशोरिंग पर खर्च बढ़ने, कहीं से भी काम करने की छूट और फ्रेशर की सर्वाधिक नियुक्ति का प्रति कर्मचारी राजस्व पर असर दिखने लगा है। प्रति कर्मचारी राजस्व को कर्मचारी उत्पादकता का एक प्रमुख पैमाना माना जाता है। पिछले दो वित्त वर्ष के दौरान शीर्ष आईटी कंपनियों के प्रति कर्मचारी औसत राजस्व में लगातार गिरावट दर्ज की गई है।
उद्योग विशेषज्ञों और विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक महामारी के दौरान काम को ऑनसाइट से नियरशोर और ऑफशोर स्थानांतरित किए जाने के कारण प्रति कर्मचारी राजस्व प्रभावित हुआ है। इसके अलावा उद्योग में रिकॉर्ड नियुक्तियों का मतलब साफ है कि उनके लिए बैठने की व्यवस्था करने पर भी खर्च हुआ होगा।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के मुख्य मानव संबंध अधिकारी मिलिंक लक्कड़ ने वित्त वर्ष 2022 के लिए कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में कहा, ‘पहला,
वैश्विक महामारी के दौरान दूर से काम करने की स्वीकार्यता बढ़ने एवं स्थानीय प्रतिभाओं के अभाव और कहीं से भी काम करने की छूट के कारण ऑफशोरिंग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। उसकी प्रकृति अपस्फीतिकारी थी। दूसरा, हम वृद्धि की रफ्तार बरकरार रहने की उम्मीद में मांग से कहीं अधिक नियुक्तियां कर रहे हैं।’
प्रति कर्मचारी राजस्व को प्रभावित करने वाला एक अन्य कारक कम उपयोगिता है। इसका मतलब यह हुआ कि बेंच पर काफी कर्मचारी मौजूद हैं। कंपनियां बढ़ते एट्रिशन (कर्मचारियों द्वारा कंपनी छोड़ने) की भरपाई करने के लिए बड़ी तादाद में नियुक्तियां कर रही हैं। उदाहरण के लिए, टीसीएस ने वित्त वर्ष 2022 में 1,00,000 फ्रेशरों की नियुक्ति की जो कंपनी द्वारा की जाने वाली लेटरल हायरिंग के मुकाबले अधिक है। टीसीएस उपयोगिता प्रतिशत का खुलासा नहीं करती है।
इन्फोसिस ने भी विभिन्न परिसरों से 50,000 से अधिक फ्रेशरों की नियुक्ति की है। वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में
प्रशिक्षुओं को छोड़कर कंपनी की उपयोगिता दर 87 फीसदी रह गई। वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में प्रशिक्षुओं को शामिल करते
हुए उपयोगिता दर महज 80 फीसदी थी।
विप्रो के मामले में शुद्ध उपयोगिता (प्रशिक्षुओं को छोड़कर) वित्त वर्ष 2022 में बढ़कर 86.8 फीसदी हो गई जो वित्त वर्ष 2021 में 85.9 फीसदी रही थी। इसका मतलब साफ है कि बेंच पर काफी लोग मौजूद हैं अथवा उनका प्रशिक्षण चल रहा है और इसलिए उन्हें इसमें शामिल नहीं किया गया है। इसका एक अन्य पहलू यह भी है कि कंपनियां अपनी मूल्य निर्धारण ताकत को नहीं भुना पा रही है जिससे बढ़ती लागत को नियंत्रित किया जा सकता है।
एचएफएस के मुख्य कार्याधिकारी और मुख्य विश्लेषक फिल फेर्स्ट ने कहा, ‘हालांकि क्लाउड सौदे के मूल्य बढ़ रहे हैं लेकिन वेतन लागत में कहीं अधिक वृद्धि हुई है। अधिकतर सेवा प्रदाता बढ़ी हुई वेतन लागत को पूरी तरह अपने ग्राहकों के कंधों पर डालने में असमर्थ हैं।’
विश्लेषकों ने आशंका जताई है कि प्रति कर्मचारी राजस्व में आगे भी गिरावट दिख सकती है। मांग एवं राजस्व में नरमी के कारण इसे रफ्तार मिल सकती है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2022 के दौरान अधिकतर आईटी कंपनियों के प्रति कर्मचारी राजस्व में गिरावट आई है। मांग में नरमी के साथ गिरावट आगे भी जारी रहने के आसार हैं।’
