फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस की अगुआई में एयरलाइंस कंपनियों ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सामने प्रदर्शन करते हुए कहा कि अगर सरकार 1 नवंबर, 2009 से नई ग्राउंड हैंडलिंग नीतियां लागू करती है तो उन्हें मजबूर होकर 8,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालना पड़ेगा।
निजी विमान कंपनियों में काम करने वाले करीब 28,000 कर्मचारियों में से 29 फीसदी ग्राउंड हैंडलिंग के काम से जुड़े हुए हैं। घाटे में चल रही विमान कंपनियों पर यह राजनीतिक दबाव है कि वह अपने खर्च को कम करने के लिए कर्मचारियों की छंटनी का रास्ता न अपनाएं।
कुछ हफ्ते पहले जेट एयरवेज ने भी अपने 800 कर्मचारियों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखाने की घोषणा की थी हालांकि राजनीतिक विरोध को देखते हुए उसे अपने इस फैसले को तत्काल वापस ले लेना पड़ा था।
फिलहाल निजी विमान कंपनियां अपने लिए खुद ही ग्राउंड हैंडलिंग का काम करती हैं पर नई नीति के मुताबिक सिर्फ एयर इंडिया, जीएमआर जैसे हवाईअड्डा परिचालकों और स्वतंत्र ग्राउंड हैंडलिंग कंपनियों को ये सेवाएं मुहैया कराने का अधिकार होगा।
एक निजी विमान कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी और एफआईए के सदस्य ने कहा, ‘अगर नई नीतियां लागू की जाती हैं तो निजी विमान कंपनियों को ग्राउंड हैंडलिंग से जुड़े 8,000 कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ेगी जो कंपनी के पे रोल पर हैं। हालांकि इसमें ठेके पर काम करने वाले मजदूर शामिल नहीं हैं।’
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें विमान कंपनियों की ओर से दर्ज की गई शिकायत की जानकारी है। मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, ‘हमें रोजगार के मसले पर विचार करना है और इसे ध्यान में रखकर ही आगे कोई समाधान निकाला जा सकता है।’
स्पाइस जेट और इंडिगो के पास ग्राउंड हैंडलिंग के लिए 1,800 से 2,000 कर्मचारी हैं, जबकि गोएयर ने इस काम के लिए करीब 350 कर्मचारी नियुक्त कर रखे हैं। अगर नई नीतियां लागू होती हैं तो इन कर्मचारियों पर इसका असर पड़ सकता है।
जेट एयरवेज के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम यहां जेट के उन 4,000 कर्मियों की बात हो रही है जो ग्राउंड हैंडलिंग से जुड़े हैं, लेकिन यह नई नीति लागू होने से 20,000 कर्मियों पर फर्क पड़ेगा।’