अपने कई मॉलों में उम्मीद से भी कम मांग से परेशान व्यवस्थिति रिटेल उद्योग जगत के रिटेलर अपने कुल स्टोरों में से कम से कम 20 प्रतिशत स्टोरों को दो साल के भीतर ‘राजस्व बांटना’ जैसे कारोबारी मॉडल का हिस्सा बनाना चाहते हैं।
उद्योग सूत्रों के मुताबिक इस मॉडल के तहत रिटेल उनके स्टोरों से होने वाली बिक्री का कुछ प्रतिशत रियल एस्टेट कंपनियों से बांटेंगे। इसी के साथ सूत्रों का मानना है कि दो लोगों के बीच जोखिम बांटने का यह सही तरीका भी है।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने जिन पांच कंपनियों से संपर्क किया वे पहले रियल्टी कंपनियों को मॉल के लिए बहुत अधिक किराया चुका रही थीं और उनके मॉल में आने वाले लोगों की संख्या भी उनकी उम्मीद से कम थी।
यही कारण थे कि उन्होंने राजस्व बांटना जैसे मॉडल को पसंद किया। एक साथ दोनों क्षेत्रों पर मंदी की मार से दो-दो हाथ करने के लिए रिटेलरों और डेवलपरों ने राजस्व बांटना जैसे मॉडल का स्वागत किया है।
एक सलाहकार कंपनी टेक्नोपैक के अध्यक्ष राघव गुप्ता का कहना है, ‘राजस्व बांटने के मॉडल से डेवलपरों की मॉल आने वाले लोगों की संख्या बढ़ाने की जिम्मेदारी भी बढ़ जाएगी। इसके लिए उन्हें अपनी बुनियादी सुविधाओं का स्तर सुधारना होगा और ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करानी होंगी।’
गुप्ता का कहना है, ‘यह मॉडल मंदी के दौरान बना रहेगा, क्योंकि रिटेलर अकेले यह बोझ नहीं झेलने वाले। कम बिक्री का मतलब है कम किराया।’ मैकिंजी रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा समय में उद्योग जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि व्यवस्थित रिटेल उद्योग में सिर्फ 10 प्रतिशत स्टोर ही राजस्व बांटने के मॉडल के तहत काम कर रहे हैं, जो भारत के लगभग 16,35,000 करोड़ रुपये का सिर्फ 5 प्रतिशत है।
भारत का सबसे बड़ा रिटेलर फ्यूचर समूह ने राजस्व बांटने के मॉडल के तहत 15 लेन-देन पूरे किए हैं। फ्यूचर समूह के समूह मुख्य कार्यकारी किशोर बियानी का कहना है, ‘हमें लगता है कि सभी रिटेलरों के आगे बढ़ने का यही तरीका है क्योंकि ये डेवलपर और रिटेलर दोनों के लिए फायदेमेंद है।’
आरपीजी समूह का रिटेल कारोबार-स्पेंसर्स रिटेल राजस्व बांटने के मॉडल के तहत ही 10 नए स्टोर खोलने वाला है। स्पेंसर्स का इस मॉडल के तहत आने वाला पहला स्टोर इस महीने कानपुर में खोला जाएगा।
स्पेंसर्स रिटेल के उपाध्यक्ष समर शेखावत ने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों में किरायों में जबरदस्त गिरावट आई है, जिसके कारण रिटेलर और डेवलपरों दोनों एक ही कागार पर खड़े हो गए हैं। अब डेवलपर स्थायी किरायों की बजाए कम-ज्यादा होने वाले राजस्व का हिस्सा लेने को तैयार हैं।’
सिलेक्ट सिटी वॉक के मुख्य कार्यकारी राजीव दुग्गल का कहना है, ‘हम अपने किरायेदारों से न्यूनतम गारंटी या शुध्द बिक्री का 1.5 से 2.5 प्रतिशत हिस्सा लेते हैं, जो उनके फॉर्मेट पर निर्भर करता है। मोबाइल रिटेलर हमें अपनी शुध्द बिक्री का 1 से 1.5 प्रतिशत तक का भुगतान करते हैं।’