राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील पंचाट (एनसीएलएटी) ने वीडियोकॉन समूह के लिए वेदांत रिर्सोसेस की इकाई ट्विनस्टार टेक्नोलॉजीज की समाधान योजना पर आज रोक लगा दी। इससे पहले राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट के मुंबई पीठ ने इस योजना को मंजूरी दी थी। लेकिन वीडियोकॉन समूह के एक ऋणदाता बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने एनसीएलटी के निर्णय को अपील पंचाट में चुनौती दी थी। मामले की अगली सुनवाई 7 सितंबर को होगी।
एनसीएलएटी ने कहा, ‘एनसीएलटी के आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई जाती है और पंचाट के आदेश के पहले की यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया जाता है।’ अपील पंचाट ने प्रतिवादी से दो हफ्ते के अंदर जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए कहा है।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने अपनी याचिका में कहा था कि समाधान योजना को मंजूर करने का एनसीएलटी का आदेश अवैध है और ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता के निर्धारित प्रावधानों के विपरीत है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र के 1,216.88 करोड़ रुपये वीडियोकॉन समूह में फंसे हैं।
वादी ने अपनी याचिका में कहा है कि ऋणदाताओं की समिति की विभिन्न बैठकों में लेनदारों ने वित्तीय ऋणदाताओं के लिए प्राप्त राशि के बंटवारे की व्यवस्था पर चिंता जताई थी।
असंतुष्ट वित्तीय लेनदारों ने कहा था कि यह आईबीसी के नियमों के अनुरूप नहीं है। लेकिन समाधान पेशेवर ने उनकी चिंता को नजरअंदाज कर समाधान योजना पर मतदान कराने का निर्णय किया।वादी ने कहा कि समाधान योजना में वित्तीय ऋणदाताओं को गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर और इक्विटी के तौर पर भुगतान करने का प्रस्ताव दिया गया है जबकि आईबीसी के तहत इसकी अनुमति नहीं है। योजना में असंतुष्ट वित्तीय लेनदारों को किस्तों में भुगतान करने की बात कही गई है।
याची ने कहा कि ऋणदाताओं की समिति से संतुष्ट लेनदारों को भुगतान करने से पहले सभी असंतुष्ट लेनदारों को तरलता मूल्य के अनुसार नकद भुगतान करने के लिए कहा गया है। लेकिन ऐसे निर्देशों से समाधान योजना में संशोधन हो रहा है, जिसकी अनुमति उच्चतम न्यायालय नहीं देता। अगर योजना आईबीसी के प्रावधानों के विपरीत हो तो उसे समुचित संशोधन के साथ पुनर्विचार के लिए ऋणदाताओं की समिति के पास भेजा जाना चाहिए।याची ने कहा कि प्रक्रिया की सलाहकार एसबीआई कैप्स के अनुसार यदि वह योजना पर राजी हो जाता तो उसे 59.27 करोड़ रुपये मिले होते, जिसमें से 8.14 करोड़ रुपये नकद और बाकी 51.13 करोड़ रुपये एनसीडी के जरिये मिलते। योजना के हिसाब से परिसमापन मूल्य में याची की हिस्सेदारी 41.85 करोड़ रुपये होगी। फॉर्म एच के अनुसार आईएफसीआई समेत असंतुष्ट लेनदारों की हिस्सेदारी 105.23 करोड़ रुपये होगी। लेकिन एसबीआई कैप्स की गणना के हिसाब से बैंक ऑफ महाराष्ट्र और आईएफसीआई को कुल 111.85 करोड़ रुपये ही मिलेंगे।
पिछले महीने एनसीएलटी ने वीडियोकॉन के लिए वेदांत समूह की ट्विनस्टार टेक्नोलॉजीज की समाधान योजना को मंजूरी दी थी। लेकिन इस पर चिंता जताई थी कि सफल समाधान आवेदक लगभग नगण्य भुगतान कर रहा है और कुल बकाया दावे में से केवल 4.15 फीसदी दे रहा है। इससे ऋणदाताओं को 95.85 फीसदी का नुकसान उठाना होगा। पंचाट ने ऋणदाताओं की समिति और आवेदक दोनों को भुगतान बढ़ाने पर विचार करने का सुझाव दिया था।वीडियोकॉन समूह पर ऋणदाताओं का कुल दावा 71,433.75 करोड़ रुपये था, जिनमें से 64,838.63 करोड़ रुपये के दावे को स्वीकार किया गया था मगर मंजूर समाधान योजना में केवल 2,962.02 करोड़ रुपये देने की बात कही गई है।