भारत सरकार कारोबार सुगमता सुधारने के लिए कदम उठा रही है और बेहतर वैश्विक रैंकिंग के दावे कर रही है, वहीं एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि भारत के व्यापार कानूनों में कारावास की सजा देने वाली 26,134 धाराएं हैं, जिनका सामना उद्यमियों और कॉर्पोरेट्स को करना पड़ता है।
देश के 5 राज्यों में व्यापार कानून में कारावास की सजा देने वाले 1,000 से ज्यादा कानून हैं। टीमलीज रेगटेक और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के एक अध्ययन के मुताबिक इस तरह के गुजरात में 1,469, पंजाब में 1,273, महाराष्ट्र में 1,210, कर्नाटक में 1,175 और तमिलनाडु में 1,042 कानून हैं।
भारत में कारोबार को प्रशासित करने वाले 1,536 कानूनों में से आधे से ज्यादा में जेल की सजा का प्रावधान है। कारोबार करने के लिए 69,233 अनुपालन करने होते हैं, जिसमेंं से 37.8 प्रतिशत (हर 5 में से करीब 2) में जेल की सजा का प्रावधान है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस नियामकीय कोलेस्ट्रॉल की वजह से भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2.6 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है और भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, वहीं इसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी 1,900 डॉलर है, जो बांग्लादेश, सीरिया व नाइजीरिया से भी कम है।’
इसमें कहा गया है, ‘बहुत ज्यादा कानून होने की वजह से फर्मों को एक पूर्णकालिक अनुपालन विभाग बनाना पड़ता है। इससे सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। 150 से ज्यादा कर्मचारियों वाले एमएसएमई को 500 से 900 अनुपालन करने होते हैं, जिसकी लागत 12 से 18 लाख रुपये सालाना आती है।’
जेल की सजा वाली आधी से ज्यादा धाराओं में कम से कम एक साल के दंड का प्रावधान है। इनमें से कुछ धाराओं में प्रक्रिया के उल्लंघन को आपराधिक बना देती हैं, जबकि कुछ में मामूली चूक की वजह से सजा का प्रावधान है और यह सजा जानबूझकर नुकसान पहुंचाने या धोखाधड़ी करने की तुलना में ज्यादा हैं। कुछ कानूनों में अनुपालन रिपोर्ट की देरी से या गलत फाइलिंग को अपराध माना गया है और इसमें भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत सजा का प्रावधान है। जेल की सजा की ज्यादातर धाराएं श्रम कानूनों से जुड़ी हैं, जिसमें कानून के मुताबिक 50 से ज्यादा धाराएं हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत का उद्यमशीलता परिदृश्य कानूनों, नियमों और विनियमों से भरा पड़ा है, जिन्होंने कारोबार में बाधाएं खड़ी की हैं। उदाहरण के लिए फैक्टरीज अधिनियम, 1948 मेंं 58 नियम हैं, जिनमें जेल संबंधी 8,682 धाराएं हैं।
