अमेरिकी दवा कंपनी गिलियड साइंसेज ने कोविड-19 से संक्रमित रोगियों के उपचार के लिए रेमडेसिविर के सीमित आपातकालीन उपयोग के लिए अपनी मंजूरी भले ही दे दी हो लेकिन भारतीय दवा कंपनियों को इसके लिए अभी तक कोई विपणन अधिकार नहीं मिला है। साथ ही यह भी पता चला है कि उन्होंने अभी तक इंजेक्शन वाली इस दवा की कीमत पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) से संपर्क भी नहीं किया है।
सूत्रों ने इशारा किया कि दवा कंपनियां विभिन्न सरकारी विभागों से संपर्क में हैं। उन्होंने बताया कि हाल में दवा कंपनियों और विभिन्न सरकारी विभागों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये एक बैठक भी हुई थी। हालांकि इस दवा के मूल्य के संबंध में फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया गया है। जहां तक खुराक का सवाल है तो सूत्रों ने दावा किया कि इसे देश के सर्वोच्च स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा निर्धारित किया जाएगा। आईसीएमआर ने अभी तक रोगियों पर रेमडेसिविर की खुराक के संबंध में कोई सलाह जारी नहीं की है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम इन दवा विनिर्माताओं के साथ बैठक करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि इसे बाजार में जल्द लाने के लिए विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा सके। उनके पास इस दवा के उत्पादन के लिए लाइसेंस प्राप्त है लेकिन अब उन्हें भारत में इस दवा के विपणन के लिए अधिकार हासिल करने की आवश्यकता है।’ हालांकि समझा जाता है कि भारतीय दवा कंपनियों को नियामकीय मंजूरी हासिल करना अभी बाकी है।
गिलियड को मंजूरी मिलने की खबर आने के बाद मंगलवार को जुबिलैंट लाइफ साइंसेज के शेयर में 5 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। इस बीच, सिप्ला के शेयर में मामूली गिरावट आई। गिलियड ने भारत में रेमडेसिविर के उत्पादन एवं वितरण के लिए सिप्ला, जुबिलैंट लाइफ साइंसेज, हेट्रो और माइलन के साथ लाइसेंस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। जबकि पाकिस्तान में उसने फिरोजसंस लैब्स के साथ करार किया है। माइलन वैश्विक स्तर पर रेमडेसिविर की आपूर्ति के लिए भारत को विनिर्माण केंद्र बनाएगी।
सिप्ला और हेट्रो ने इस खबर के लिए टिप्पणी करने से इनकार किया। जबकि माइलन और जुबिलैंड लाइफ साइंसेज को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं आया।
इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए गिलियड को भेजे गए ईमेल का भी समाचार लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
