देश की अग्रणी पैथोलॉजी शृंखला रेलिगेयर सुपर लैबोरेट्रीज (एसआरएल रैनबैक्सी) मेडिकल उपकरण बनाने वाली रॉश डायग्नोस्टिक, सीमेंस और अबोट जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ काम कर रही है।
रेलिगेयर इनके साथ मिलकर एक रैपिड टेस्ट उपकरण बनाने की योजना बना रही है। इस एक उपकरण से ही लगभग 10 मेडिकल टेस्ट किए जा सकेंगे।
इस उपकरण को कंपनी देश भर की लगभग 100 रेलिगेयर वैलनेस स्टोर में लगाने वाली है। रेलिगेयर वैलनेस एक हेल्थकेयर रिटेल चेन है जिसका संचालन रैनबैक्सी करती है।
रेलिगेयर लैब्स और रेलिगेयर वैलनेस के मुख्य कार्यकारी संजीव चौधरी ने कहा, ‘हम जल्द ही इस उपकरण का परीक्षण करने वाले हैं। चाहे हीमोग्लोबीन का टेस्ट हो या लिपिड प्रोफाइल का टेस्ट।
आप हमारे किसी भी स्टोर में जाकर टेस्ट करा सकते हैं और आपको परिणाम भी तुरंत मिल जाएगा। देश भर में हमारे 900 केंद्र हैं और इनमें से अधिकतर केंद्रों में हम यह सुविधा उपलब्ध कराएंगे।’
रेलिगेयर लैब्स बड़े स्तर पर विस्तार की योजना बना रही है।
अपनी क्षमता दोगुनी करने के लिए कंपनी अगले एक साल में लगभग 200 करोड़ रुपये निवेश करेगी। चौधरी ने बताया, ‘एक साल पहले हमारे कर्मचारियों की संख्या मात्र 600 ही थी लेकि न आज यह संख्या 1300 है।
अगले एक साल में इस संख्या को दोगुना करेंगे। कंपनी ने पिछले साल लगभग 200 करोड़ रुपये का कारोबार किया था। कमाई बढ़ाने के लिए कंपनी पैथोलोजी टेस्टों के अलावा भी कारोबार को बढ़ाना चाहती है।
साल के अंत तक हमारी योजना डसयग्नोस्टिक इमेजिंग कारोबार में भी आने की है। देश में मुंबई की लैब में सबसे पहले यह इमेजिंग की सुविधा उपलब्ध होगी।’
चौधरी ने बताया कि रेलिगेयर लैब्स संगठित पैथोलोजी लैबोरेट्रीज के क्षेत्र में सबसे ज्यादा टेस्ट करती है। उन्होंने कहा, ‘देश में हर साल लगभग 10 करोड़ पैथोलोजी टेस्ट होते हैं।
इसमें से लगभग 80 फीसदी टेस्ट असंगठित क्षेत्र में होते हैं। बाकी बचे हुए टेस्टों में से हम लगभग 70 लाख टेस्ट करते हैं। यानी संगठित क्षेत्र के लगभग एक तिहाई टेस्ट हमारी लैब में ही होते हैं।
देश भर में हमारी लगभग 40 लैबोरेट्रीज हैं। जहां देश भर में मौजूद हमारे 450 केंद्रों से आए नमूनों का परीक्षण किया जाता है।’
कंपनी की लगभग 10 फीसदी कमाई विदेशी देशों से आती हैं। उन्होंने बताया, ‘खाड़ी देशों के अस्पतालों द्वारा एलर्जी, टीबी और एचआईवी के लिए गए नमूनों का परीक्षण हमारी ही लैबोरेट्रीज में किया जाता है।’
