सरकार रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) में अपने शेयरों को बेचने पर विचार कर रही है, जो स्पेसिफाइड अंडरटेकिंग आफ यूनिट ट्रस्ट आफ इंडिया (सूटी) के माध्यम से उसके पास हैं। इसकी बिक्री के प्रबंधन के लिए जल्द ही मध्यस्थ की नियुक्ति होगी। सरकार की योजना आरआईएल के करीब 8 लाख शेयर बेचने की है। शुक्रवार को शेयर के बंद भाव देखें तो इससे सरकार को करीब 180 करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिलेगी। निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) इसके लिए मध्यस्थ की नियुक्ति करेगा, जो इन शेयरों के कस्टोडियन का काम करेगा।
एक अधिकारी ने कहा कि बाजार के विश्लेषण के आधार पर मध्यस्थ शेयरों की बिक्री करेगा, जिससे कि बेहतर दाम मिल सकें। इस प्रस्ताव पर अंतिम मंजूरी जल्द आने की उम्मीद है। सूटी के माध्यम से सरकार के शेयर इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईपीसीएल) में थे, जिसका विलय 2007 में आरआईएल में हो गया था। उसके बाद आईपीसीएल के शेयरधारकों को हर 5 शेयर पर आरआईएल के एक शेयर मिले थे। खबर लिखे जाने तक वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस सिलसिले में भेजे गए ई मेल का कोई उचित उत्तर नहीं दिया।
एक्सचेंज की सूचनाओं के आधार पर केंद्र सरकार/राज्य सरकारों/भारत के राष्ट्रपति की 1.17 करोड़ या 0.18 प्रतिशत शेयरधारिता तेल से लेकर टेलीकॉम क्षेत्र तक में काम करने वाली इस दिग्गज कंपनी में है। यह कदम सरकार की रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह निजीकरण और सरकारी उद्यमों में रणनीतिक विनिवेश कर रही है। सरकार ने ऐक्सिस बैंक में भी सूटी की हिस्सेदारी घटा दी है, जिससे चल रहे वित्त वर्ष में सरकार को खजाने में 3,994 करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिली है।
इसके पहले सरकार ने विभिन्न कंपनियों मेंं सूटी की हिस्सेदारी बेचने के बारे में सरकार को सलाह देने के लिए आरएफपी मांगा था, जो ऑफर फॉर सेल (ओएफएस), ब्लॉक डील, बल्क डील, शेयर एक्सचेंज के माध्यम से नियमित बिक्री या भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के दिशानिर्देशों और अन्य लागू नियमों व कानूनों का पालन करते हुए किसी अन्य व्यवस्था के माध्यम से बेचना है।
सूटी के 51 सूचीबद्ध व गैर सूचीबद्ध कंपनियों में शेयर हैं, जिन्हें सरकार बेचने को इच्छुक है और यह लेन-देन प्रबंधित करने के लिए मध्यस्थ की नियुक्ति करने पर विचार कर रही है। सरकार 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी घटाने के लिए शेयर बेचने की दिशा में बढ़ रही है। हालांकि इस लक्ष्य का बड़ा हिस्सा भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) को बेचकर और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की सूचीबद्धता से हासिल किया जाना है। वहीं सरकार अन्य कई पीएसयू में हिस्सा घटाने पर विचार कर रही है, जिससे सेबी के न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) मानकों का पालन किया जा सके।