मुकेश अंबानी की नियंत्रण वाली रिलयांस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) फॉर्च्युन इंडिया 500 सूची में एक बार फिर शीर्ष पायदान पर काबिज रही है। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब कंपनी इस सूची में पहले स्थान पर रही है। इस सूची में जितनी कंपनियां शामिल हैं, उनके कुल संचयी राजस्व और मुनाफे में आरआईएल की हिससेदारी क्रमश: 7 प्रतिशत और 11 प्रतिशत रही है।
पिछले वर्ष आरआईएल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) को पीछे छोड़कर पहली बार शीर्ष पर काबिज हो गई थी। फॉच्र्युन इंडिया 500 सूची राजस्व पर आधारित है और इस वर्ष के आंकड़े वित्त वर्ष 2019-20 के हैं। शीर्ष 10 कंपनियों में आईसीआईसीआई बैंक (9वां स्थान) और लार्सन ऐंड टुब्रो (10वां स्थान) अपनी जगह बनाने में सफल रहे हैं। कोल इंडिया और टाटा स्टील शीर्ष दस कंपनियों की सूची से बाहर हो गई है।
2019 में जारी सूची में टाटा स्टील 8वें स्थान पर रही थी। सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया 9वें स्थान पर जगह बनाने में सफल रही थी।
500 कंपनियों में सबसे बड़ी कंपनियों की संचयी राजस्व में मोटी हिस्सेदारी लगातार बनी हुई है। सूची के अनुसार 38 कंपनियों में प्रत्येक का राजस्व 50,000 करोड़ रुपये रहा है। फॉच्र्युन इंडिया ने कहा कि इस वर्ष सूची में शामिल सभी कंपनियों के कुल राजस्व में इनकी हिस्सेदारी करीब 60 प्रतिशत रही है। सूची में शामिल 139 कंपनियों का राजस्व 3,000 करोड़ रुपये से कम (प्रत्येक का) रहा है। इस तरह, सभी कंपनियों के कुल राजस्व में इनकी भागीदारी 4 प्रतिशत से भी कम रही है। फॉर्च्युन इंडिया 500 सूची में विनिर्माण क्षेत्र की 300 कंपनियां शामिल थीं और कुल राजस्व में इनकी हिस्सेदारी 62 प्रतिशत रही। सूची में शामिल कंपनियों के संयुक्त कुल मुनाफे में इनकी हिस्सेदारी
करीब 76 प्रतिशत रही। सूची में सेवा क्षेत्र की 145 कंपनियां शामिल की गईं, जिनकी हिस्सेदारी राजस्व एवं मुनाफे में क्रमश: 33 प्रतिशत और 19 प्रतिशत रही।
तेल एवं गैस कंपनियों की हिस्सेदारी सूची में शामिल कंपनियों के कुल राजस्व में 22 प्रतिशत रही। मुनाफे में इनका हिस्सा 20 प्रतिशत रहा। सेवा क्षेत्र की कंपनियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे आगे रही।
