मुकेश अंबानी के रिलायंस समूह ने अपने खुदरा कारोबार का विस्तार करने के लिए केवल दो साल में ही एक दर्जन कंपनियों के साथ 4.2 अरब डॉलर के अधिग्रहण के सौदे कर डाले हैं। नवीनतम खरीद पिछले सप्ताह जस्टडायल में 3,497 करोड़ रुपये की बहुलांश हिस्सेदारी थी।
कुछ सप्ताह पहले सालाना आम बैठक के दौरान अपनी अधिग्रहण रणनीति पर विस्तार से बताते हुए अंबानी ने कहा था कि प्रमुख हिस्सों में से एक कारोबारों का अधिग्रहण करना होगा, जिसने रिलायंस की पेशकशों और ग्राहक अनुभवों को बढ़ाया है तथा ये भौतिक और डिजिटल दोनों रूप में होंगे।
इन अधिग्रहणों का दायरा खिलौनों के लिए हैमलेज और अधोवस्त्र स्टोर जिवामे से जैसे उम्दा स्टोर से लेकर डिजिटल फार्मेसी नेटमेड्स तथा ओमनी-चैनल फर्नीचर और गृह सज्जा की खुदरा विक्रेता अर्बन लैडर तक विविध क्षेत्रों में फैला हुआ है।
अन्य कंपनियों में अंतिम छोर तक लॉजिस्टिक और भोजन डिलिवरी करने वाला प्लेटफॉर्म ग्रैब ए ग्रब, बी2बी शिल्पकार प्लेटफॉर्म मेसइंडस, फार्मा उद्योग के लिए सॉफ्टवेयर समाधान सी-स्वेयर, छोटे और मध्य स्तर के उद्यमों के लिए डिजिटल मौजूदगी सक्षम बनाने वाली नाउ फ्लोट्स तथा खुदरा कारोबर की वृद्धि को गति देने में मदद करने वाला सबसे बड़ा ओमनी-चैनल प्लेटफार्म शॉपसेंस रिटेल आदि शामिल हैं।
समूह अधिग्रहण वाली अधिकांश परिसंपत्तियों को खुदार कारोबार की नियंत्रक कंपनी – रिलायंस रिटेल वेंचर्स के साथ तालमेल बैठाने के लिए पुनर्गठित कर रहा है। (इससे पहले इस काम के लिए समूह की विभिन्न कंपनियों का उपयोग किया गया था)।
बेशक सबसे बड़ा सौदा फ्यूचर समूह के खुदरा कारोबर को 24,713 करोड़ रुपये में अधिग्रहण करने का रहा, जो अब प्रतिस्पद्र्धी कंपनी एमेजॉन द्वारा दायर मामलों के कारण कानूनी लड़ाई में फंस गया है। यह सौदा रिलायंस की अधिग्रहण रणनीति के लिए महत्त्वपूर्ण है।
ये अधिग्रहण दुनिया की शीर्ष 10 खुदरा कंपनियों में से एक बनने के अंबानी के दृष्टिकोण का हिस्सा हैं। तुलनात्मक रूप से देखें, तो अपने खुदरा कारोबार से 20.6 अरब डॉलर के राजस्व के साथ रिलायंस ब्रिटेन की खुदरा विक्रेता टेस्को के आकार का लगभग चौथा हिस्सा है, जो वित्त वर्ष 21 में 73 अरब डॉलर के राजस्व के साथ दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी खुदरा विकेता है।
अनुमानों के अनुसार फ्यूचर समूह के शामिल होने से रिलायंस रिटेल को अपने सकल राजस्व में चार अरब डॉलर जोडऩे में मदद मिलेगी। अंबानी द्वारा निर्धारित किया गया लक्ष्य तीन से पांच सालों में तीन गुना तक विस्तार करना है।
दुनिया की शीर्ष खुदरा विक्रेताओं की रैंकिंग बताने वाली डिलोयट की रिपोर्ट में रिलायंस 53वें स्थान पर है, जो शीर्ष 100 में शामिल एकमात्र भारतीय कंपनी है। हालांकि राजस्व में वृद्धि के मामले में इसे दूसरे स्थान पर आंका जाता है, जो दक्षिण कोरिया की कूपांग कॉर्प से ही पीछे है।