एमेजॉन ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से मांग की है कि रिलायंस को 3.4 अरब डॉलर में बेची जा रही फ्यूचर रिटेल की खुदरा परिसंपत्तियों की खातिर दी गई मंजूरी वह वापस ले। एमेजॉन ने कहा है कि यह मंजूरी अवैध तरीके से हासिल की गई। एमेजॉन ने एक पत्र के जरिये भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के सामने अपनी बात रखी है, जिसे रॉयटर्स ने देखा है।
इस सौदे को दी गई मंजूरी गैर-कानूनी है क्योंकि आर्बिट्रेटर का आदेश अभी भी प्रभावी है। एमेजॉन डॉट कॉम इंक की तरफ से भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को पिछले हफ्ते भेजे गए पत्र में ये बातें कही गई है।
दुनिया के दो अमीरों एमेजॉन के संस्थापक जेफ बेजोस और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के बीच संघर्ष भारत के बढ़ते खुदरा बाजार (करीब एक लाख करोड़ डॉलर) पर वर्चस्व की लड़ाई है।
देश की दूसरी सबसे बड़ी रिटेलर फ्यूचर रिटेल लिमिटेड को लेकर जीत हासिल करने वाली कंपनी इस दौड़ में अग्रणी स्थिति में आ जाएगी और देश के एक अरब से ज्यादा नागरिकों की रोजाना की जरूरत पूरी करेगी।
सीसीआई, एमेजॉन, फ्यूचर समूह और रिलायंस ने इस बारे में पूछे जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की।
फ्यूचर ने कहा है कि आर्बिट्रेटर का निलंबन आदेश अवैध था लेकिन भारतीय अदालतों ने इसे पलटने से इनकार कर दिया। अगर नियामक पिछले पत्र से सहमत हो जाता है तो यह तेल से लेकर दूरसंचार क्षेत्र की दिग्गज रिलायंस के लिए बड़ा झटका होगा।
एमेजॉन ने पिछले साल सिंगापुर के आर्बिट्रेटर से इस सौदे के खिलाफ स्थगन हासिल कर लिया था, जहां आरोप लगाया गया था कि फ्यूचर ने अनुबंध का उल्लंघन किया, जो उसे रिलायंस समेत दूसरी इकाइयों को परिसंपत्ति बेचने से रोकता है। लेकिन सीसीआई ने इस सौदे को मंजूरी दे दी।
एमेजॉन ने पत्र में कहा, फ्यूचर ने सीसीआई को गुमराह किया और सौदे पर मंजूरी हासिल करने में लगी रही। एमेजॉन ने अपना पक्ष रखने के लिए सीसीआई से व्यक्तिगत सुनवाई की मांग की है।
एमेजॉन अभी तक रिलायंस संग फ्यूचर रिटेल के सौदे पर विराम लगाने की खातिर सौदे के अनुबंधों का कामयाबी के साथ इस्तेमाल किया है।
