केंद्र सरकार ने नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल) के संभावित खरीदारों के अधिकांश मांगों को मान लिया है। इसमें संपत्ति की बिक्री के लिए लॉक इन अवधि को घटाकर एक साल करना और नए खरीदार को विशेष उद्ेश्य की कंपनी (एसपीवी) को एनआईएनल में मिलाने की अनुमति देना शामिल है।
इस मामले से अवगत एक अधिकारी ने कहा कि निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे की अगुआई वाले अंतरमंत्रालयी समूह और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाले विनिवेश पर सचिवों के मुख्य समूह (सीजीडी) ने तय किया है कि निश्चित अवरुद्घ अवधि को घटाकर बिक्री पूरी होने की तारीख से एक वर्ष किया जा सकता है।
दीपम ने पहले इस अवधि को तीन वर्ष रखने का प्रस्ताव दिया था। इससे भूमि और खनन पट्टे को बाहर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि भूमि की बिक्री और खनन पट्टों के लिए लॉक-इन प्रतिबंध तीन वर्ष का ही रहेगा।
एमएमटीसी प्रवर्तित एनआईएनएल, इंडस्ट्रियल प्रमोशन ऐंड इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ उड़ीसा तथा अन्य सरकारी एजेंसियों ने ओडिशा के कलिंगनगर में 11 लाख टन का एकीकृत लौह और इस्पात संयंत्र स्थापित किया है।
अधिकारी ने कहा कि बिक्री के लिए शर्त तीन वर्ष के भीतर कंपनी के लिए उपयोग की जाने वाली बिक्री प्राप्तियों के अधीन होगी। सरकार की तरफ से रखी गई शर्त यह है कि बेची गई संपत्तियों की कुल बुक वैल्यु या बिक्री से प्राप्त आय कंपनी की शुद्घ नियत संपत्तियों के कुल बुक वैल्यू के 15 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए। कर्मचारियों को कंपनी के साथ जोड़े रखने का खंड एक वर्ष के लिए तय किया गया है जिसका मतलब है कि नया खरीदार सौदा पूरा होने के बाद एक वर्ष तक कर्मचारियों की छंटनी नहीं कर सकता है।
इस्पात कंपनी के लिए संभावित बोलीदाताओं ने एनआईएनएल में एसपीवी के विलय की अनुमति भी मांगी थी और सरकार ने इसकी अनुमति इस शर्त के साथ दी है कि बोलीदाता तीन वर्षों के लिए कंपनी का नियंत्रण अपने पास रखेगा।
केंद्र ने इस मांग पर भी सहमति दे दी है कि खरीदारों के कंसोॢटयम के कुछ सदस्य केवल वित्तीय निवेशक हो सकते हैं और वे संयुक्त देनदारी में हिस्सेदारी करने पर सहमत नहीं होंगे। संयुक्त देनदारी में पक्षों को ऋण से जुड़े जोखिमों को साझा करने की आवश्यकता होती है। सरकार ने कंसोर्टियम के सदस्यों को विभिन्न दायित्व रखने की अनुमति दे दी है और अग्रणी सदस्य की एक संयुक्त और विभिन्न देनदारी होगी।
सरकार ने सौदा पूरा होने के बाद बैंक गारंटी के तौर पर बोली की रकम का 10 फीसदी देने की जरूरत को भी समाप्त कर दिया है। उक्त अधिकारी ने कहा कि एनआईएनएल के निजीकरण की प्रक्रिया अग्रिम चरण में है और इसे चालू वित्त वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है। बोलीदाताओं के अनुरोधों पर विचार किया गया और जहां कहीं संभव हुआ उन्हें शामिल किया गया ताकि सौदा आगे बढ़ सके।
