सैटेलाइट रेडियो सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी वर्ल्डस्पेस इंडिया की विस्तार योजना पर नियामकों का ब्रेक लग गया है।
सैटेलाइट रेडियो की यह कंपनी भारत में अपना मूल कंटेंट बनाने के लिए एक स्टूडियो और कॉल सेंटर खोलने की योजना बना रही थी, जिससे कंपनी को अतिरिक्त राजस्व भी मिल सके।
कंपनी ने इसके लिए विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) के पास आवेदन भी भेजा था। लेकिन एफआईपीबी ने इस मामले पर सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीआईटी) से सलाह मांगी है। तब तक बोर्ड इस मामले पर कोई राय नहीं देगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और दूरसंचार विभाग दोनों ही एफआईपीबी को बता चुके हैं कि यह मामला उनके कार्यक्षेत्र के बाहर है।
सैटेलाइट रेडियो के लिए लाइसेंस देना और नियामक जारी करना सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के कार्यक्षेत्र में आता है। जबकि रेडियो प्रसारण के लिए स्पेक्ट्रम मुहैया कराना दूरसंचार विभाग के कार्यक्षेत्र में आता है।
कंपनी के इस विस्तार की योजना में रोड़े आने की एक वजह यह भी है कि वर्ल्डस्पेस इंडिया की मूल कंपनी वर्ल्डस्पेस इंक ने अमेरिका में खुद को दिवालिया होने से बचने के लिए सरकार से राहत पैकेज की मांग की है। इसीलिए यह कंपनी भारत में अपने कारोबार को बढ़ाने की योजना बना रही है।
हालांकि इस बारे में कंपनी के अधिकारियों ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है। एफआईपीबी को भेजे गए आवेदन के तहत वर्ल्डस्पेस भारत में एक कॉल सेंटर खोलने की योजना बना रही है। इसके अलावा कंपनी सैटेलाइट रिसीवर, डैटा एडेपटर्स, पीसी एड ऑन काड्र्स और एक्सेसरीज का आयात कर बेचने के बारे में भी विचार कर रही है।
हालांकि इस विस्तार के लिए कंपनी किसी भी तरह के विदेशी निवेश का सहारा नहीं ले रही है। इस मामले पर सफाई देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि वेब आधारित सेवाओं के नियंत्रण की जिम्मेदारी मंत्रालय की नहीं है।
जबकि दूरसंचार विभाग ने कहा कि वर्ल्डस्पेस सैटेलाइट की जो कार्यशैली है वह आईएसपी श्रेणी में नहीं आती है। इसीलिए इस मामले में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ही राय दे सकता है। इसीलिए एफआईपीबी ने इस मामले को अपनी अगली बैठक तक टाल दिया है।