कॉरपोरेट मुनाफे में तेजी और पूंजीगत खर्च में भारी गिरावट से भारतीय उद्योग जगत को पिछले वित्त वर्ष अपना कर्ज बोझ घटाने में मदद मिली। प्रमुख सूचीबद्घ कंपनियों (बैंकों, बीमा, और एनबीएफसी को छोड़कर) द्वारा संयुक्त उधारी 32.7 लाख करोड़ रुपये से सालाना आधार पर 5.6 प्रतिशत घटकर वित्त वर्ष 2021 के अंत में 30.8 लाख करोड़ रुपये रह गई। करीब दो दशकों में वास्तविक कॉरपोरेट उधारी में यह पहली बड़ी गिरावट है, क्योंकि कंपनियों द्वारा ऋण पुनर्भुगतान नई उधारी को पार कर गया।
जे एम फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘कॉरपोरेट लाभ और नकदी प्रवाह में तेजी, खासकर जिंस उत्पादकों के लिए, से कॉरपोरेट ऋण घटाने की प्रक्रिया तेज हुई है। कॉरपोरेट ऋण में कमी की प्रक्रिया वित्त वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में कॉरपोरेट करों में कमी के साथ शुरू हुई।’ उनके अनुसार, ज्यादातर कंपनियों ने नए पूंजीगत खर्च करने के बजाय कर्ज की पूर्व अदायगी के लिए अपने नकदी प्रवाह में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया है।
आंकड़ों से भारतीय उद्योग जगत के आरक्षित नकदी में बड़ी तेजी आने का भी पता चलता है। बिजनेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल कंपनियों की नकदी और नकदी समतुल्य राशि एक साल पहले के 10.65 लाख करोड़ रुपये से 10 प्रतिशत ज्यादा है। आरक्षित नकदी पिछले साल भारतीय उद्योग जगत की सभी परिसंपत्तियों के 15.5 प्रतिशत के बराबर थी, जो वित्त वर्ष 2013 से सर्वाधिक है।
इस नमूने में गैर-वित्तीय कंपनियों द्वारा संयुक्त पूंजीगत खर्च एक साल पहले के 7.78 लाख करोड़ रुपये से सालाना आधार पर 45.2 प्रतिशत घटकर वित्त वर्ष 2021 में 4.27 लाख करोड़ रुपये रह गया। वित्त वर्ष 2021 में पूंजीगत खर्च वृद्घि वित्त वर्ष 2017 के बाद से सबसे कमजोर रही।
तुलनात्मक तौर पर, गैर-वित्तीय कंपनियों का संयुक्त शुद्घ लाभ एक साल पहले के 2.28 लाख करोड़ रुपये से 72.5 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2021 में 3.93 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि उनकी संयुक्त शुद्घ बिक्री सालाना आधार पर 7.4 प्रतिशत गिरकर वित्त वर्ष 2021 में 59.6 लाख करोड़ रुपये रह गई। नमूने में शामिल कंपनियों की संयुक्त आय वित्त वर्ष 2021 में वित्त वर्ष 2018 के बादे दूसरे स्थान पर थी। वित्त वर्ष 2018 में यह आय 3.97 लाख करोड़ रुपये की ऊंचाई पर पहुंच गई थीं।
आय में बड़ी तेजी से संयुक्त नेटवर्थ में सालाना आधार पर 14.3 प्रतिशत की वृद्घि को बढ़ावा मिला, जो एक साल पहले के 35.9 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर करीब 41 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
वास्तविक उधारी में गिरावट और आय में वृद्घि के समावेश से बैलेंस शीट लेवरेज अनुपात में भारी गिरावट को बढ़ावा मिला। नमूने में शामिल सूचीबद्घ गैर-वित्तीय कंपनियों के लिए सकल ऋण-इक्विटी अनुपात 0.75 गुना के 11 साल के निचले स्तर पर रह गया, जबकि शुद्घ ऋण-इक्विटी अनुपात वित्त वर्ष 2021 में सुधरकर 0.44 गुना के 10 वर्षीय निचले स्तर पर रहा।
कॉरपोरेट ऋण में गिरावट मुख्य तौर पर तेल एवं गैस, इस्पात, सीमेंट और बिजली जैसे क्षेत्रों के प्रमुख जिंस उत्पादकों की वजह से दर्ज की गई थी। रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा स्टील, सेल, इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन जैसी कंपनियों ने अपने कर्ज में बड़ी गिरावट दर्ज की है।
