विश्व में छाई आर्थिक मंदी ने हैंडटूल निर्माताओं के बीच एक कीमत युद्ध शुरू कर दिया है।
विदेशी ग्राहकों को लुभाने के लिए इन निर्माताओं ने रुपये पर डॉलर के दबदबे के समय में कुछ मुनाफा सुनिश्चित करने के लिए अपने हैंडटूल उत्पादों की कीमतें घटानी शुरू कर दी हैं।
आर्थिक मंदी के तूफान ने कई इंजीनियरिंग निर्यातकों को लाचार बना दिया है और पंजाब इस मंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला राज्य है।
इस उद्योग के जानकारों का कहना है, ‘पंजाब में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार इंजीनियरिंग सामानों से संबद्ध है। पिछले तीन महीनों से उत्पादन में 25 से 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। कम उत्पादन की वजह से बड़ी तादाद में श्रमिकों की छंटनी की गई है। उत्पाद निर्माताओं के पास अपने सामानों की कीमतें घटाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह गया है।’
हैंडटूल उत्पाद निर्माताओं द्वारा कीमतें घटाए जाने से चिंतित इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी) के चेयरमैन (क्षेत्रीय) एस सी राल्हन ने निर्माताओं से कीमतें ज्यादा नहीं घटाए जाने का अनुरोध किया है।
उनका कहना है कि निर्माताओं को स्थिति की गंभीरता को समझने की कोशिश करनी चाहिए अन्यथा उन्हें नुकसान हो सकता है। राल्हन इस बात से सहमत हैं कि माध्यमिक इस्पात सामानों की कीमतों में गिरावट से निर्यातक कुछ राहत महसूस कर रहे हैं, लेकिन वे भी तक 100 फीसदी लाभ में नहीं हैं।
उन्होंने सुझाव दिया है कि हैंडटूल उद्योग को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में नहीं कूदना चाहिए, क्योंकि यह उद्योग के भविष्य के लिए नकारात्मक हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘हैंडटूल इकाइयों ने एक महीने में 40 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाया है, क्योंकि निर्यातकों ने जो ऑर्डर बुक किए, वे डॉलर की कीमत 40 से 42 रुपये के बीच किए गए, लेकिन अब यह बढ़ कर 50 रुपये पर पहुंच गया है।’
उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि निर्माताओं ने मौजूदा डॉलर कीमत के हिसाब से लगभग 8 रुपये का नुकसान उठाया। फ्रीमान्स के मालिक अजय नय्यर्स ने कहा कि उद्योग अब आर्थिक मंदी की चपेट में है और हम इससे बचने के लिए प्रभावी कदम उठा रहे हैं।
यदि हम अपने उत्पादों की कीमतें घटाते हैं तो यह बुरा नहीं है। निर्यातक गोदामों में माल इकट्ठा करने के बजाय इसकी अधिक से अधिक बिक्री करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होने कहा, ‘यूरोप और अमेरिका हैंडटूल उत्पादों के लिए बड़े बाजार हैं, लेकिन इन देशों में हैंडटूल उत्पादों की खपत में कमी आ रही है।
इन देशों में मांग में बड़े पैमाने पर गिरावट आई है’ उन्होंने कहा कि एक समस्या यह भी है कि यदि निर्यातक अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों को छूट देता है तो इसका मतलब है कि यह फैसला बिक्री के लिए पहले से मौजूद माल पर लागू होगा और यदि वे नए ऑर्डर लेते भी हैं तो कोई नहीं जानता कि बाजार का चरण कब बदल जाएगा।
हैंडटूल पैनल के चेयरमैन शरद अग्रवाल कहते हैं कि इस्पात उत्पादों की कीमतों में कमी करने के बाद उन्हें कुछ राहत मिली है। हालांकि सरकार ने निर्यात शुल्क समाप्त कर दिया है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप इस्पात कीमतें फिर से ऊपर आ गई हैं।
उन्होंने यह खुलासा किया कि बाजार में यह अफवाह है कि कच्चे माल की कीमतें घट गई हैं, लेकिन ये कीमतें पिछले साल की तुलना में अभी भी काफी अधिक बनी हुई हैं।
अंबिका फॉर्जिन्स के ज्ञान भंडारी का मानना है कि यद्यपि कीमतें घटी हैं, लेकिन ग्राहक अभी भी ऑर्डर देने से परहेज कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें कीमतों में और अधिक गिरावट आने की उम्मीद है। ग्राहक चाहते हैं कि जब तक बाजार स्थिर न हो जाए, तब तक वे कोई ऑर्डर नहीं देंगे।