चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनियों के वित्तीय परिणामों पर तो मंदी का असर साफ देखने को मिला।
इसमें भी आईटी कंपनियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा। लेकिन आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी विप्रो के लिए मुसीबतें अभी कम नहीं हुई हैं। मंदी के साथ-साथ रुपये में कमजोरी आने से आईटी कंपनियां कुछ राहत महसूस कर रही हैं, लेकिन पिछली तिमाही के आंकड़े उनकी हालत पतली ही बता रहे हैं।
विप्रो के तो सॉफ्टवेयर कारोबार में भी हालत अच्छी नहीं रही। इसके अलावा बुनियादी ढांचा वगैरह मेंभी धक्के की आशंका है।जहां कंपनी के सॉफ्टवेयर कारोबार में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है। कंपनी के सूत्रों का मानना है कि विप्रो इन्फ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग और कंज्यूमर केयर ऐंड लाइटनिंग कारोबार तक भी मंदी की आंच पहुंचने लगी है।
मांग से उम्मीद
इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की विकास दर और मांग कम होने के कारण विप्रो इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारोबार पर इसका काफी नकारात्मक असर पड़ा है। इस बारे में कंपनी ने कहा कि कंपनी की योजना होगी मांग बढ़ने तक इस कारोबार पर पड़ी मंदी की मार से इसे उबारना।
कंपनी के सूत्रों के मुताबिक दूसरी तिमाही में विप्रो इन्फ्रास्ट्रक्चर के शुद्ध मुनाफे में 90 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि जब इस बारे में कंपनी से पूछा गया तो कंपनी ने इस बारे में ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया। तिमाही दर तिमाही की बात करे तो कंपनी के शुद्ध मुनाफे में 30 फीसदी की गिरावट आई है और यह 278 करोड़ रुपये ही रहा।
खनन में तेजी
कंपनी के सूत्रों ने बताया, ‘एक्सकैवेटर्स के साथ इस्तेमाल होने वाले हाइड्रॉलिक सिलेंडरों की मांग में कमी आने के कारण भी कंपनी के कारोबार में गिरावट आई है। दरअसल ऐसा हुआ है इन्फ्रास्ट्रक्चर कारोबार में मंदी आने के कारण। लेकिन खनन क्षेत्र में तेजी आने के कारण हमें इस कारोबार में काफी तगड़े मुनाफे की उम्मीद है।’
विप्रो के राजस्व में लगभग 4 फीसदी की हिस्सेदारी वाली विप्रो इंजीनियरिंग अशोक लीलैंड, जेसीबी और केटरपिलर जैसी दिग्गज कंपनियों को हाइड्रॉलिक सिलेंडर और कलपुर्जे मुहैया कराती है। कंपनी पिछले 30 साल से इस कारोबार में है और इस बाजार पर कंपनी की लगभग 70 फीसदी हिस्सेदारी है।
जबकि विप्रो कंज्यूमर केयर ऐंड लाइटनिंग कारोबार अभी तक अच्छा कर रहा था। लेकिन रियल एस्टेट क्षेत्र पर छाई मंदी की काली परछाई ने कंपनी के इस कारोबार को भी अपनी चपेट में ले लिया है। लाइटनिंग और फर्नीचर की मांग में जबरदस्त गिरावट आई है।
डब्ल्यूसीसीएल के अध्यक्ष विनीत अग्रवाल ने बताया, ‘समूह के कुछ कारोबारों पर मंदी का असर जरूर पड़ा है। लेकिन यह समस्या आईटी और रिटेल कारोबार तक ही सीमित है। हम सोच रहे हैं कि अब आगे क्या हो सकता है। हम उन क्षेत्रों पर ध्यान दे रहे हैं जिन पर मंदी का कोई असर नहीं पड़ा है। हमारी कोशिश है कि उनमें कारोबार को और ज्यादा बढ़ाकर मंदी के असर से काफी हद तक समूह को बचा लिया जाए।’