रियल एस्टेट की कंपनियां इन दिनों अपनी परियोजनाओं को मंजूरी मिलने में होने वाली देरी और उसके बाद निर्माण के टलने के कारण बुरे दौर से गुजर रही है।
दक्षिण भारत के बेंगलुरु में भी कुछ ऐसा ही मंदी का माहौल नजर आ रहा है। बेंगलुरु में लगभग 5 लाख वर्गफुट के बराबर जगह, जो मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान लोगों के इस्तेमाल में आने के लिहाज से परियोजनाओं के तहत तय थी, अभी तक परियोजनाओं में ही लटकी हुई है।
अतिरिक्त जगह की अब 2009 की पहली तिमाही के अंत तक भी पूरे होने की उम्मीद है। कुशमैन ऐंड वेकफील्ड इंडिया के रिटेल सेवाओं के निदेशक रजनीश महाजन का कहना है, ‘परियोजनाओं में देरी के साथ मौजूदा वित्तीय संकट का आने वाले वर्ष में आपूर्ति की स्थितियों में बदलाव की पूरी संभावनाएं हैं, क्योंकि पहली परियोजनाएं अभी भी शुरू होना बाकी हैं।’
उनका कहना है, ‘इस दौरान शहर की प्रमुख गलियां काफी सक्रिय रहीं, जबकि पिछली तिमाही के दौरान मांग में मंदी बनी हुई थी। भविष्य में किरायों में गिरावट के मद्देनजर किरायों में स्थिरता देखी गई। जगह लेने के अपने वादे को निभाने के चलते कुछ ही रिटेलर मौजूदा मंदी को देखते हुए किराये की शर्तों पर मोल-भाव कर सकते हैं।’
हैबिटाट वेंचर्स के कार्यकारी अध्यक्ष शिवराम मालाकाला का कहना है, ‘इस वर्ष की पहली छमाही में सीमेंट, मिट्टी और इस्पात जैसे कच्चे माल की कीमतों में अचानक हुई वृध्दि के कारण डेवलपरों पर निर्माण में देरी का गहरा असर पड़ा है। इस देरी ने कई रिटेलरों को भी अपनी चपेट में लिया है, जो सितंबर में इस बाजार में उतरने वाले थे। आमतौर पर रिटेलर खर्च के लिहाज से सबसे बड़ी अवधि, सितंबर से जनवरी तक, पर नजर रखते हैं।’
लक्जरी मॉल- विट्ठल माल्या रोड पर ‘दी क्लेक्शन’, पुरुषों के महंगे परिधानों के स्टोर मैनजोनी, लिवाइस स्टोर और मदुरा गारमेंट्स के पुरुषों के लाइफस्टाइल स्टोर ने जगह ली है। महाजन का कहना है, ‘इस छोटे से बाजार में महंगे रिटेलरों की अधिक दिलचस्पी के हाई-एंड रिटेल गतिविधियों तक पहुंचने की उम्मीद है जो साथ से जाने वाली लावेले रोड तक फैला हुई हैं।’
रिटेल में आपूर्ति के मामले में बेंगलुरु में 35 से अधिक मॉल की परियोजनाएं योजना और मंजूरी के विभिन्न चरणों में लटकी हुई हैं। मौजूदा आर्थिक स्थितियों को देखते हुए भी इनमें से ज्यादातर 2011 या उसके बाद चालू हो सकते हैं।
शिवराम मालाकाला का कहना है, ‘तीसरी तिमाही तक मांग आपूर्ति से अधिक थी। लेकिन अब परियोजनाओं में देरी के कारण भविष्य में आपूर्ति में इजाफा हो सकता है।’