भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भुगतान में चूक और कारोबारी संचालन मसले को लेकर अनिल अंबानी प्रवर्तित रिलायंस कैपिटल (आर-कैप) के निदेशक मंडल को आज बर्खास्त कर दिया। इसके साथ ही आरबीआई ने कहा कि कंपनी जल्द ही दिवालिया प्रक्रिया में जाएगी।
केंद्रीय बैंक ने अपनी वेबसाइट पर जारी बयान में कहा है कि रिलायंस कैपिटल द्वारा विभिन्न भुगतान बाध्यतातओं में चूक करने और संचालन को लेकर गंभीर चिंता के मद्देनजर कंपनी के निदेशक मंडल को बर्खास्त कर दिया है क्योंकि बोर्ड प्रभावी तरीके से समस्याओं को दूर करने में सक्षम नहीं था।
आरबीआई ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र के पूर्व कार्यकारी निदेशक नागेश्वर राव वाई को रिलायंस कैपटल का प्रशासक नियुक्त किया है। कंपनी को लेकर जल्द ही दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता के नियमों के तहत समाधान प्रक्रिया शुरू की जाएगी। आरबीआई ने राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) के मुंबई पीठ को प्रशासक को ऋणशोधन समाधान पेशेवर के तौर पर नियुक्त करने के लिए आवेदन करेगा। हाल के वर्षों में केंद्रीय बैंक द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र की तीन कंपनियों के बोर्ड को बर्खास्त किया गया है।
आरबीआई ने नवंबर 2019 में डीएचएफएल के बोर्ड को, उसके बाद 4 अक्टूबर को श्रेय समूह के दो एनबीएफसी के बोर्ड को बर्खास्त किया था। आरबीआई ने एनबीएफसी के लिए सख्त नियमन भी ला रहा है और बड़ी एनबीएफसी के लिए बैंकों की तरह सख्त नियम लागू किए जाएंगे हैं।
हालांकि रिलायंस कैपिटल के खिलाफ आरबीआई की कार्रवाई से इस क्षेत्र पर खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि समूह लंबे समय से संकट से जूझ रहा है और ऋणदाताओं तथा बॉन्डधारकों को भुगतान में लगातार चूक रही थी। हालिया चूक का मामला 27 नवंबर का है। इसे डिफॉल्ट रेटिंग भी दी गई थी। रिलायंस कैपिटल बैंकिंग क्षेत्र में भी उतरना चाह रही थी लेकिन केंद्रीय बैंक ने बड़े कारोबारी घरानों को लाइसेंस देने पर सहमत नहीं है।
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी पर कुल 27,753 करोड़ रुपये का कर्ज है, जिनमें से 18,800 करोड़ रुपये नियत आय का था। रिलायंस कैपिटल ने 8,313 करोड़ रुपये के भुगतान में चूक की है। कंपनी ने दिसंबर तिमाही के नतीजों में कहा था कि उसने 14,827 करोड़ रुपये के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर को सूचीबद्घ कराया है। रिलायंस कैपिटल का बॉन्ड 2028 तक जारी रहेगा और इसकी औसत परिपक्वता अवधि 3.36 साल है जिस पर औसत ब्याज दर 9.37 फीसदी है। वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च, 2021 तक कंपनी की संचयी संपत्तियां 64,878 करोड़ रुपये थी।
रिलायंस कैपिटल ने कई बार टर्म लोन के भुगतान में चूक है और उसके खाते को बैंकों ने गैर-निष्पादित आस्तियों में तब्दील कर दिया था। समूह की कई इकाइयां आंशिक या पूर्ण रूप से बिक चुकी हैं या ऋणदाताओं के कब्जे में हैं। कंपनी अपनी सहायक इकाइयों के लिए संयुक्त उद्यम साझेदार तलाश रही थी।रिलायंस कैपिटल की नेटवर्थ ऋणात्मक हो गई है और कभी दुनिया के शीर्ष दस अमीरों में शुमार अनिल अंबानी को 2020 में ब्रिटेन में दिवालिया घोषित किया जा चुका है। समूह 2017 से ही डॉलर बॉन्ड सहित अन्य भुगतान में चूक कर रहा था। 30 सितंबर को समूह का नेटवर्थ ऋणात्मक 8,195 करोड़ रुपये था। इसलिए समूह के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद की जा रही थी और बाजार इसके लिए पहले से तैयार था।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में वित्तीय संस्थान के निदेशक एंव प्रमुख प्रकाश अग्रवाल ने कहा, ‘आरबीआई द्वारा रिलायंस कैपिटले के निदेशक मंडल को बर्खास्त करना और उसके खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू करने से एनबीएफसी क्षेत्र पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। कंपनी की समस्या से बाजार से अवगत था और आरबीआई की कार्रवाई उम्मीद के अनुरूप है। आशा है कि समाधान प्रक्रिया में तेजी आएगी।’
(साथ में अभिजित लेले और देव चटर्जी)
