अमेरिका में बेची जानी वाली अपनी जेनेरिक दवाओं के लिए दस्तावेजों को लेकर विवादों में घिरी रैनबैक्सी लैबोरेटरीज लिमिटेड ने आज राहत की सांस ली है।
आज अमेरिकी सरकार ने कंपनी की जेनेरिक दवाओं के खिलाफ मामले को वापस ले लिया है। इस मामले में सरकार ने कंपनी से ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले से जुड़े रैनबैक्सी के सभी दस्तावेज मुहैया कराने और किसी भी अयोग्य या गलत दस्तावेज को बदलने की बात स्वीकार करने के साथ ही न्याय विभाग ने यह मामला भी वापस ले लिया।
अमेरिकी सरकार इस बात की तफतीश कर रही थी क्या गुड़गांव की इस कंपनी ने दवाओं के मामले में रिपोर्टों को नष्ट कर दिया है और यहां बेचे जाने वाली जेनेरिक दवाएं जो कंपनी इकाइयों में बनाई जा रही हैं गुणवत्ता-नियंत्रण के मानकों पर खरी नहीं उतर रहीं और कंपनी ने झूठे आंकड़े तो पेश नहीं किए हैं।
भारतीय कंपनी ने अपने ऊपर लगे इन सभी आरोपों से इनकार किया और जरूरी दस्तावेज पेश करने की सहमति जाहिर की। सरकार का कहना है कि रैनबैक्सी यह मामला वापस लेने की अधिसूचना के बाद भी दस्तावेज मुहैया कराती रहेगी।
अमेरिकी सरकार ने अदालत से निवेदन किया है कि अगर कोई भी अहम दस्तावेज जो दिखाए जाने जरूरी हैं, उन्हें गलत तरीके से कंपनी अपने पास रखती है तो अदालत इस मामले को दोबारा शुरू कर सकती है।
एक अन्य आदेश में 16 सितंबर को अमेरिकी औषधि नियामक ने कंपनी की भारतीय इकाइयों में बनाई जाने वाली 30 जेनेरिक दवाओं के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। नियामक ने कहा था कि भारत में रैनबैक्सी की इन दवाओं वाली दो इकाइयां उनके मानकों पर खरी नहीं उतरतीं।
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) का कहना है कि ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला है, जो साबित करे कि रैनबैक्सी की दवाएं स्वास्थ के लिए हानिकारक हैं। भारतीय कंपनी ने अमेरिका के इस आदेश के लिए न्यू यॉर्क के पूर्व मेयर रुडॉल्फ गियुलियानी को सलाहकार नियुक्त किया था।
रैनबैक्सी ने कहा कि उसे पूरा विश्वास है कि उसकी दवाएं सुरक्षित और प्रभावकारी हैं। बंबई स्टॉक एक्सचेंज को जारी विज्ञप्ति में कंपनी का कहना है कि वह आगे भी नियामक और अदालत को सहयोग देती रहेगी। अमेरिका में मिली कंपनी को राहत के बाद दायची सांक्यो का कहना है कि अभी भी रैनबैक्सी को 737 रुपये प्रति शेयर से खरीदने के अपने फैसले पर अडिग है।
दायची सांक्यो जो हाइपर टेंशन की दवा बेनीकार बेचती है, जेनेरिक दवाओं के बाजार में उतरने के लिए भारतीय कंपनी को खरीदने के लिए तैयार हुई थी। गौरतलब है कि जेनेरिक दवाओं के बाजार में ब्रांडेड दवाओं की बिक्री उनकी मांग के साथ-साथ दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है।
दायची सांक्यो ने रैनबैक्सी के मुख्य कार्यकारी मालविंदर सिंह और उसके परिवार की कंपनी में 34.8 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की पेशकश दी थी। दायची, जिसने अन्य शेयरधारकों से भी कंपनी की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की पेशकश दी थी, मार्च तक इस खरीद को पूरा कर लेगी, लेकिन अब भी कंपनी को भारतीय रिजर्व बैंक से स्वीकृति लेने की जरूरत है।