चेन्नई की कंपनी रामचरण कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने आज घाना की कंपनी मासरी कंपनी लिमिटेड से 2.2 अरब डॉलर का ऑर्डर हासिल करने की घोषणा की। इसके तहत कंपनी घाना में करीब 300 मेगावॉट बिजली का उत्पादन करने के लिए अपनी अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाली इकाइयों की आपूर्ति करेगी। इस महीने के आरंभ में रामचरण ने अमेरिकी फंड टीएफसीसी इंटरनैशनल से 4.14 अरब डॉलर का निवेश हासिल करने की घोषणा करते हुए बाजार को अचंभित कर दिया था।
इस सौदे के तहत प्रति मेगावॉट लागत 50 से 55 करोड़ रुपये होगी जो सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और कचरे से बिजली बनाने वाली मौजूदा इकाइयां स्थापित करने की बताई गई लागत के मुकाबले काफी अधिक है। सौर ऊर्जा के मामले में यह लागत 4.5 करोड़ प्रति मेगावॉट है जबकि पवन ऊर्जा के मामले में 5.5 करोड़ प्रति मेगावॉट और मौजूदा कचरे से बिजली इकाई के मामले में 15 से 18 करोड़ रुपये प्रति मेगावॉट है।
कंपनी ने इस बाबत जानकारी के लिए भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया।
इस सौदे का निष्पादन नवंबर 2022 में शुरू होने की उम्मीद है। इसके तहत घाना में दो साल के दौरान अपशिष्ट से बिजली बनाने वाली इकाइयां स्थापित की जाएंगी। अपशिष्ट से बिजली बनाने के लिए सेवाओं की डिलिवरी और समझौता ‘एंटिटी वन’ ब्रांड नाम के तहत किया जाएगा।
रामचरण कंपनी के निदेशक कौशिक पालिचा ने कहा, ‘बिना कोई अवशेष छोड़े बड़े पैमाने पर अपशिष्ट के प्रसंस्करण से ऊर्जा तैयार करने के हमारे मिशन को ध्यान में रखते हुए हमने घाना में मासरी कंपनी लिमिटेड को अपनी इकाइयों की आपूर्ति के लिए पहले समझौते पर सफलतापूर्वक हस्ताक्षर किए हैं। हमारे समग्र उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए हमें विश्वास है कि अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाले उत्पाद और नई पीढ़ी के ऊर्जा भंडारण उपकरणों की आपूर्ति से पर्यावरण को काफी फायदा होगा।’
यह समझौता ऐसे समय में किया गया है जब कुछ ही समय पहले अमेरिकी कंपनी टीएफसीसी इंटरनैशनल ने निवेश के जरिये 46 फीसदी हिस्सेदारी हासिल की है। टीएफसीसी ने यह निवेश कंपनी के पर्यावरण से लेकर ऊर्जा प्रबंधन प्रणालियों और सोडियम सिलिकेट से बनी उच्च भंडारण क्षमता के साथ अक्षय ऊर्जा उपकरणों के लिए किया है।
रामचरण के अनुसार, इस प्रौद्योगिकी का उपयोग बिना अलग किए मिलेजुले कचरे से ऊर्जा बनाने में किया जा सकता है और इससे पर्यावरण के लिए कोई अवशेष नहीं बचता है जो इसे वैश्विक स्तर पर अपने प्रकार की अनोखी और सुरक्षित प्रौद्योगिकी बनाती है। कंपनी ने कहा कि इसमें प्रति 10 लाख यूनिट के उत्पादन शून्य अपशिष्ट के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है। कौशिक पालीचा के नेतृत्व में रामचरण की मौजूदा टीम द्वारा अनुसंधान के बाद 2016 में यह प्रौद्योगिकी विकसित की गई थी। कंपनी 2022 से 2024 के दौरान कई उत्पाद लाने की तैयारी कर रही है।
