उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की योजना देश भर की जन वितरण प्रणाली को पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत करने की है और इसके लिए लगभग 520 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। उपभोक्ता मामलों, खाद्य और जन वितरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव एवं वित्तीय सलाहकार एन के रघुपति के अनुसार कम्प्यूटरीकरण के बाद पारदर्शित के साथ–साथ क्षमताओं में इजाफा होगा और इससे बोगस राशन कार्डों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
फिक्की, भारतीय खाद्य निगम और सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन द्वारा आयोजित वेयरहाउसिंग 2008ः वेयरहाउसिंग (विकास एवं नियमन) अधिनियम 2007-इश्यू ऐंड चैलेंजेज के सेमिनार के बाद संवाददाताओं से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस परियोजना को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से संपन्न किया जाएगा ताकि वर्तमान मानवीय जन प्रणाली को समाप्त किया जा सके।
नई प्रणाली में परिवार के सभी सदस्यों की विस्तृत व्यक्तिगत जानकारी होगी जिसमें उनके अंगूठे के निशान भी होंगे। परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्मार्ट गवर्नेंस द्वारा तैयार की जा रही है। मंत्रालय राशन कार्डों की जगह स्मार्ट कार्ड प्रणाली लाने पर भी विचार कर रहा है। इसे पाइलट आधार पर हरियाणा और चंडीगढ़ में लॉन्च किया जाएगा। इस परियोजना पर 150 करोड़ रुपये की लागत आएगी। रघुपति ने कहा कि अनाजों पर नकदी सब्सिडी का भुगतान करने की योजना भी पाइलट आधार पर कुछ जिलों में आरंभ करने की योजना है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ऐसे उपाय कर रही है कि नये जन वितरण प्रणाली के तहत गरीब तबके के लोगों के हितों की रक्षा हो सके। भारत सरकार ने साल 2005-06 में 23,071 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की थी और अनुमान है कि साल 2008-09 में यह लगभग 49,000 करोड़ रुपये होगा। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 640 रुपये से बढ़ा कर 1,000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया और धान का 570 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ा कर 850 रुपये कर दिया गया।