बिजली का कारोबार करने वाली देश की दिग्गज कंपनी पीटीसी इंडिया बढ़ते मुकाबले के बीच अपना कारोबार बढ़ाने के लिए विदशों से कोयला आयात करने और खान खरीदने की योजना बना रही है।
पीटीसी के चेयरमैन टी एन ठाकुर ने बताया कि इसके लिए कंपनी इंडोनेशिया और भारत की खदानों में निवेश करना चाहती है। कंपनी ने उत्पादकों को दिसंबर 2009 तक 15 लाख टन कोयले की आपूर्ति करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी लंबी अवधि तक लगभग 1.5 करोड़ टन ईंधन की आपूर्ति कर सकती है।
कंपनी जनवरी में शेयरों की बिक्री से प्राप्त 120 अरब रुपये में से कुछ रकम अपनी बिजली परियोजनाओं और उनके लिए ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए खर्च करेगी। ठाकुर ने बताया कि कंपनी ग्राहकों को बिजली की आपूर्ति करने के लिए उत्पादकों को अपनी खदानों से कोयले की आपूर्ति करेगी।
मुंबई की एंटिक स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड के एक विश्लेषक ने बताया, ‘अगले कुछ साल में कोयले की मांग में काफी तेजी आने वाली है। ऐसे में जिनके पास कोयले का भंडार होगा वहीं कंपनियां आगे बढ़ पाएंगी।’ लगभग 1,41,000 मेगावॉट की बिजली उत्पादन क्षमता वाले भारत में आधी से ज्यादा विद्युत परियोजनाएं कोयला आधारित ही हैं।
पीटीसी ने सिंगापुर की एक कंपनी के साथ इंडोनेशिया में एक खदान में हिस्सेदारी खरीदने के लिए करार किया है। हालांकि उन्होंने इसके बारे में और जानकारी देने से मना कर दिया। ठाकुर ने कहा,’ऐसा करने की वजह है कि बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए आप सिर्फ भारतीय कोयले पर ही निर्भर नहीं रह सकते हैं।’
उद्योग के लिए तकनीकी स्तर तय करने और सरकार को ऊर्जा नीति पर सलाह देने वाली सरकारी केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के मुताबिक इस वित्त वर्ष में भारत लगभग 2 करोड़ टन कोयले का आयात कर सकता है। विद्युत मंत्रालय के उच्च अधिकारी अनिल राजदान ने कहा, ‘साल 2012 तक भारत में होने वाला कोयले का आयात दोगुना हो सकता है।’
सरकारी और निजी कंपनियां साल 2017 तक देश की बिजली उत्पादन क्षमता 2,50,000 मेगावाट तक पहुंचाना चाहती हैं। देश में बिजली उत्पादक घरों, शॉपिंग मॉल और सिनेमाज की बढ़ती मांग के अनुसार आपूर्ति करने में नाकाम रहे हैं।
सरकार मार्च 2012 तक लगभग 78,700 मेगावाट बिजली का अतिरिक्त उत्पादन करना चाहती है। निजी क्षेत्र की कंपनी टाटा पावर लिमिटेड ने मुंद्रा में एक बिजली संयंत्र लगा रही है। इसके अलावा कंपनी ने इंडोनेशिया में खदान खरीदने के लिए लगभग 1.2 अरब रुपये का निवेश कर चुकी है।