करीब 500 से ज्यादा कंपनियों के प्रवर्तकों को अब स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति पर एकाधिकार नहीं होगा। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि इन नियुक्तियों को विशेष प्रस्ताव की जरूरत होगी। इसका मतलब है कि नियुक्ति के पक्ष में वोटिंग दायरा अब 75 प्रतिशत होगा। पहले यह एक सामान्य प्रस्ताव के तहत पारित था जिसमें बहुमत वोट (50 प्रतिशत से ऊपर) की जरूरत थी।
शेयरधारिता आंकड़े के विश्लेषण से पता चला है कि नए प्रस्ताव से करीब 60 प्रतिशत कंपनियों में इस तरह की नियुक्तियों पर प्रवर्तकों का एकाधिकार अब समाप्त हो जाएगा।
इस विश्लेषण में घोषणा के दिन तक कम से कम 1,000 करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों पर विचार किया गया। मार्च 2021 तक उपलब्ध शेयरधारिता आंकड़ा वाली कुल 884 कंपनियों पर विचार किया गया। नमूने में 525 ऐसी कंपनियां थीं जिनमें प्रवर्तक शेयरधारिता 50 प्रतिशत से ज्यादा लेकिन 75 प्रतिशत से कम थी।
एक प्रमुख सलाहकार फर्म इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवायजरी सर्विसेज इंडिया (आईआईएएस) के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक अमित टंडन ने कहा, ’75 प्रतिशत पर, लोग ज्यादा सतर्कता बरतेंगे।’
प्रवर्तकों और नामित सदस्यों, दोनों को वोटिंग के दौरान खारिज किए जाने की आशंका है। आईआईएएस द्वारा एकत्रित आंकड़े के अनुसार, ऐसे कम से कम 10 प्रतिशत प्रस्तावों में शुरू में बड़ा संस्थागत निवेशक विरोध देखा गया। उन्होंने कहा, ऐसा हो सकता है कि प्रवर्तक किसी भी तरह अपनी पसंद को बागे बढ़ाने में सक्षम हों।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया का मानना है कि स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति प्रक्रिया में एक अंतर्निहित संघर्ष शामिल था। स्वतंत्र निदेशकों को उन लोगों की ओर से सेफगार्ड अल्पांश निवेशक समझा जाता है जो उन्हें नियुक्त करते हैं और वेतन देते हैं। उन्होंने कहा, ‘सेबी के मौजूदा कदम से इस समस्या को कुछ हद तक दूर करने में मदद मिल सकती है।’
सेबी बोर्ड बैठक के बाद एक बयान में कहा गया, ‘आईडी (स्वतंत्र निदेशकों) के तौर पर नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों के चयन के वक्त नोमिनेशन ऐंड रीम्यूनरेशन कमेटी (एनआरसी) द्वारा अमल की जाने वाली प्रक्रिया को व्यापक बनाया गया है और इसे अधिक पारदर्शी बनाया गया है, जिसमें आईडी के तौर पर नियुक्ति के लिए जरूरी कौशल से संबंधित खुलासे और प्रस्तावित उम्मीदवार की उस कौशल के अनुरूप क्षमता से संबंधित खुलासे शामिल हैं। बहुलांश संख्या में आईडी की मौजूदा जरूरत के बजाय दो-तिहाई आईडी शामिल किए जाने के लिए एनआरसी में संशोधन किया गया है।’
नियामक ने निवर्तमान स्वतंत्र निदेशक के इस्तीफे का खुलासा किए जाने जैसे अन्य कदम भी उठाए हैं। ये संशोधन 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी होंगे।
प्राइमइन्फोबेस डॉटकॉम के आंकड़े से पता चला है कि मौजूदा समय में एनएसई पर सूचीबद्घ कंपनियों में 5,553 लोग 7,122 स्वतंत्र निदेशक पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वहीं 1,248 महिलाएं 1,680 स्वतंत्र निदेशक पदों पर तैनात हैं।
इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यन के अनुसार, ज्यादा स्वतंत्रत निदेशक तलाशने से कोई समस्या पैदा होने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘कंपनियों के पास पर्याप्त संसाधन हैं।’
कुल बोर्ड पदों को लेकर भी दिलचस्प रुझान सामने आए हैं। कंपनी बोर्ड के 12 प्रतिशत से कम पदों पर ऐसे लोग काबिज हैं जो 45 साल या उससे कम उम्र के हैं। करीब 55.03 प्रतिशत निदेशक स्नातकोत्तर या डॉक्टरेट हैं। 429 कंपनियों के बोर्ड में सिविल सेवा के सदस्य शामिल हैं।
