जिसों की कीमतों में बेतहाशा तेजी और मांग में उम्मीद से कम सुधार से उपभोक्ता वस्तु कंपनियों के मुनाफे पर करारी चोट पड़ी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वाहन, एफएमसीजी, उपभोक्ता वस्तु, परिधान एवं त्वरित सेवा प्रदान करने वाले रेस्तरां आदि खंड की कंपनियों के संयुक्त मुनाफे की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में कम होकर 7.7 प्रतिशत रह गई है। यह एक दशक का सबसे निचला स्तर है। कोविड-19 महामारी से पहले वित्त वर्ष 2018 की दूसरी छमाही में यह आंकड़ा 15.4 प्रतिशत की ऊंचाई पर था।
उपभोक्ता वस्तु कंपनियों का शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में बढ़कर 31,569 करोड़ रुपये हो गया जो वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में 21,000 करोड़ रुपये रहा था। हालांकि इस अवधि के दौरान सभी क्षेत्र की कंपनियों की कमाई दोगुनी से भी अधिक होकर चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 4.09 लाख करोड़ रुपये हो गई। वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में उनकी संयुक्त कमाई 2 लाख करोड़ रुपये रही थी। इसकी तुलना में वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में सभी सूचीबद्ध कंपनियों की संयुक्त कमाई साल भर पहले के मुकाबले मात्र 2.5 प्रतिशत कम रही।
हालांकि उपभोक्ता कंपनियों की कमाई वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही की तुलना में वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में 26 प्रतिशत कम थी। इनकी तुलना में सभी कंपनियों की कुल कमाई में केवल 2.6 प्रतिशत कमी दर्ज हुई। यह विश्लेषण 4,166 सूचीबद्ध कंपनियों की छमाही आय पर आधारित है। इनमें 239 कंपनियां उपभोक्ता वस्तु एवं सेवा खंड में आती हैं।
विश्लेषक उपभोक्ता वस्तु कंपनियों की इस हालत के लिए मुनाफे में कमी और बिक्री में उम्मीद से कम बढ़ोतरी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जेएम फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशनल इक्विटी में प्रबंध निदेशक एवं मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा कहते हैं, ‘उपभोक्ता वस्तु कंपनियां लागत में इजाफे के बावजूद दाम नहीं बढ़ा पा रही हैं, जिससे उनका मुनाफा कम हो गया है। कोविड महामारी की वजह से विभिन्न उपभोक्ता वस्तुओं की मांग कमजोर रहने से ज्यादातर कंपनियां अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ाने की स्थिति में नहीं हैं।’ कमजोर मांग का सीधा असर कंपनियों के राजस्व पर दिखता है। वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में सभी सूचीबद्ध कंपनियों की संयुक्त शुद्ध बिक्री में उपभोक्ता वस्तु कंपनियों की हिस्सेदारी महज 7 प्रतिशत रही।