अपने हाथ में सूजन के साथ एक आदमी ग्रामीण स्वाथ्य केंद्र पहुंचता है। उसके उपचार के लिए सोनोग्राफी की जरूरत है लेकिन उस केंद्र पर सोनोग्राफी करने वाला कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। सामान्य तौर पर ऐसे रोगियों को उपचार के लिए शहर का रुख करना पड़ता है।
अब 5जी सेवाएं शुरू होने पर शहर में बैठे डॉक्टर हैप्टिक ग्लोव्स की मदद से दूरदराज के केंद्रों पर इस प्रकार की नैदानिक सेवाएं उपलब्ध करा सकेंगे। इसके अलावा शिक्षा, मोबिलिटी एवं सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में 5जी के उपयोग पर वोडाफोन आइडिया ने आज पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम अपनी प्रस्तुति दी।
मई में दूरसंचार विभाग ने एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफोन आइडिया को 5जी के परीक्षण के लिए स्पेक्ट्रम आवंटित किए थे। साथ ही तीनों कंपनियों को नए जमाने की संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ भारत में 5जी के संभावित उपयोग को प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था। ये स्पेक्ट्रम 700 मेगाहट्र्ज, 3.5 गीगाहट्र्ज और 26 गीगाहट्र्ज बैंड में आवंटित किए गए थे। नवंबर में सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को इस प्रकार के परीक्षण के लिए छह महीने का अतिरिक्त समय दिया था।
वोडाफोन आइडिया गांधीनगर और पुणे में अपनी 5जी सेवाओं का परीक्षण कर रही है। इसके लिए वह 3.5 गीगाहट्र्ज और 26 गीगाहट्र्ज बैंड में स्पेक्ट्रम का उपयोग कर रही है और उसका प्रौद्योगिकी साझेदार नोकिया एवं एरिक्शन है। कंपनी अपने परीक्षण में वाहन, स्वास्थ्य सेवा और आईओटी ऐप्लिकेशन को शामिल करने के लिए अपने साझेदारों और स्टार्टअप से भी बात कर रही है।
कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ रविंदर टक्कर ने एक बयान में कहा, ‘हमारे 5जी परीक्षण में विभिन्न डोमेन में नई संभावनाओं की पूरी दुनिया को प्रदर्शित किया गया है जिससे भारत में उन्नत प्रौद्योगिकी के एक नए दौर की शुरुआत होगी।’
कंपनी ने स्पेक्ट्रम की नीलामी, मूल्य निर्धारण और वाणिज्यिक सेवाओं की शुरुआत से संबंधित पूछे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। सरकार अगले साल मई तक 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी आयोजित करने की योजना बना रही है। साथ ही सरकार ने अगले साल स्वतंत्रता दिवस तक कुछ शहरों में 5जी सेवाएं शुरू करने के लिए दूरसंचार कंपनियों के साथ बातचीत की है।
