डिजिटल माध्यम से सवास्थ्य सेवा कारोबार में जुटी कंपनी प्रैक्टो भारत में सेकंडरी केयर (किसी खास रोग के निदान के लिए सेवाएं देने वाला स्वास्थ्य सेवा खंड) शल्य चिकित्सा में अवसरों का लाभ उठाना चाहती है। भारत में सेकंडरी केयर सर्जरी खंड 12 अरब डॉलर का है जिसमें अगले पांच वर्षों में कंपनी कम से कम 5 प्रतिशत हिस्सेदारी अपने पाले में करना चाहती है।
प्रैक्टो अब सेकंडरी केयर या शल्य चिकित्सा खंड में एक समोवशी स्वास्थ्य सुविधाओं की पेशकश करेगी। कंपनी इस समय ऑनलाइन माध्यम से चिकित्सकों के साथ संपर्क, सलाह, दवाओं और और जांच से जुड़ी सेवाएं दे रही है। कंपनी प्रैक्टो केयर सर्जरी एक्सपीरियंस सेंटर्स के जरिये मरीजों को एक ही मंच से विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाएं देगी। चिकित्सकों की सलाह के अलावा अस्पताल में भर्ती कराने, दवा एवं रोग की जांच में मदद के साथ प्रैक्टो के माध्यम से शल्य चिकित्सा की बुकिंग कराने वाले प्रत्येक मरीज की मदद के लिए
एक खास व्यक्ति तैनात किया जाएगा। यह व्यक्ति चिकित्सा के विभिन्न चरणों से लेकर बीमा दावा करने तक सभी कार्यों में मरीज की मदद करेगा।
भारत में हरेक साल 2 करोड़ से अधिक शल्य चिकित्सा होती है और इसमें करीब 80 प्रतिशत सेकंडरी केयर के अंतर्गत आते हैं। प्रैक्टो का कहना है कि अगले तीन वर्षों के दौरान वह स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर 1,000 करोड़ रुपये खर्च करने की येाजना बना रही है। इसके लिए कंपनी ने अस्पतालों और निजी बीमा कंपनियों से संपर्क किया है। प्रैक्टो के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी शशांक एन डी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि भारत में 12 अरब डॉलर के सेकंडरी केयर खंड में उनकी कंपनी अगले पांच वर्षों में कम से कम 5 प्रतिशत दखल हासिल करना चाहती है। इस खंड में औसतन एक शल्य चिकित्सा पर 50,000 से 75,000 रुपये खर्च होते हैं।
इस समय देश के छह शहरों में प्रैक्टो केयर सर्जरी तीन खंडों- सामान्य शल्य चिकित्सा, मूत्र विज्ञान और कान-नाक-गला (ईएनटी) खंड में 50 से अधिक शल्य चिकित्सा की सुविधा दे रही है। कंपनी ने कहा, ‘कंपनी अपनी उपस्थिति बढ़ाकर 30 शहरों तक ले जाना चाहती है और विशेष चिक्तिसा सेवाओं जैसे हड्डी, स्त्री रोग एवं नेत्र रोग खंडों में भी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है। कंपनी अगले वर्ष के अंत तक सैकड़ों शल्य चिकित्सकों को अपने साथ जोडऩा चाहती है।’
