भारत के 60 प्रतिशत से भी अधिक कोयले से चलने वाले ताप बिजली घर एक सप्ताह से भी कम समय में खर्च होने वाले कोयले के भंडारों के सहारे बिजली संयंत्र चला रहे हैं।
कम कोयले के कारण बिजली की उपलब्धता पर भी एक समय असर पड़ सकता है और वह भी तक जब भारत की सबसे अधिक घाटा लगभग 15 प्रतिशत है।
बिजली क्षेत्र की शीर्ष संस्था केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने अपनी हाल ही की एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में 81 में से 60 ताप बिजली घरों के पास सितंबर में 7 दिन उपभोग का भी स्टॉक नहीं था, अभी तक सिर्फ सितंबर तक के आंकड़े उपलब्ध हो पाए हैं।
हाल के दिनों में गंभीर स्तर से भी नीचे स्टॉक के साथ बिजली संयंत्रों का यह आंकड़ा अभी तक का सबसे अधिकतम आंकड़ा है। सीईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयला न मिल पाना, अनुचित कड़ियां और अधिक उत्पादन के साथ साथ कानून और व्यवस्था की समस्याएं मौजूदा स्थिति की जिम्मेवार हैं।
विद्युत राज्य मंत्री जयराम रमेश ने बिजली संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति के बारे में कहा, ‘स्थिति बद्तर होती जा रही है।’ कई मामलों में तो स्टॉक का स्तर 2 से 3 दिनों तक घट गया है। मौजूदा समय में भारत में 81 कोयले से चलने वाले ताप बिजली घर हैं, जिनमें बतौर ईंधन मुख्य रूप से कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) से आया हुआ कोयला ही इस्तेमाल होता है।
भारत की योजना मौजूदा पंच वर्षीय योजना (2007-12) में लगभग 78,700 मेगावाट बिजली क्षमता को और बढ़ाने की है। इसमें से अधिक क्षमता- 50,570 मेगावाट या 64 प्रतिशत- कोयला आधारित ताप बिजली संयंत्रों से बढ़ाने की है।