बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के खिलाफ पीएनबी हाउसिंग फाइनैंस की अपील पर प्रतिभूति अपील न्यायाधिकरण (सैट) ने खंडित फैसला दिया है। सेबी ने पीएनबी हाउसिंग को निर्देश दिया था कि वह तब तक शेयरों का तरजीही आवंटन नहीं करे, जब तक स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता से मूल्यांकन नहीं करा लिया जाता। इस मामले की सुनवाई दो न्यायाधीशों के पीठ ने की, जिनमें पीठासीन अधिकारी तरुण अग्रवाल और न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति एमटी जोशी शामिल थे। फैसला एकमत नहीं होने के कारण सैट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा, जिसमें पीएनबी हाउसिंग फाइनैंस को अपनी असाधारण आम बैठक में हुए मतदान के नतीजों का खुलासा नहीं करने को कहा गया है।
दोनों सदस्यों में तरजीही आवंटन के विभिन्न नियमों के लागू होने को लेकर सहमति है। लेकिन उनमें इस बात को लेकर मतभेद रहा कि यह मामला सेबी के क्षेत्राधिकार में है या नहीं और इसने ईजीएम से पहले दखल देकर तथा शेयरधारकों को प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं करने देकर सही किया अथवा नहीं। कानून के मुताबिक अगर सैट के दो सदस्यीय पीठ में किन्हीं बिंदुओं पर असहमति रहती है तो वे उन बिंदुओं का उल्लेख करेंगे, जिन पर उनके बीच मतभेद है और इस मामले को पीठासीन अधिकारी (पीओ) के पास भेजेंगे। विशेषज्ञों ने कहा कि मौजूदा स्थिति अभूतपूर्व है क्योंकि न्यायाधिकरण केवल दो सदस्यों से ही चल रहा है। एक स्वतंत्र विधि वकील सोमशेखर सुंदरेशन ने कहा, ‘ऐसे मामलों में विवादित आदेश बना रहता है, इसलिए अब इसका अगला चरण सर्वोच्च न्यायालय में अपील करना होगा।’ न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा कि सेबी ने प्राकृतिक न्याय के खिलाफ काम किया है और उसका यह मानना गलत था कि ईजीएम आयोजित करना कंपनी के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन का उल्लंघन है। हालांकि न्यायमूर्ति जोशी ने सेबी के कदमों से सहमति जताई। उन्होंने कहा, ‘सेबी अधिनियम में ऐसे विशेष आदेश पारित करने पर कोई रोक नहीं है। निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए आवश्यक महसूस होने पर सेबी ऐसे फैसले ले सकता है।’
