अमेरिका की ओकट्री कैपिटल आवास वित्त कंपनी डीएचएफएल के अधिग्रहण की फिराक में है मगर डीएचएफएल के लिए बोली लगाने वाले पीरामल समूह के अजय पीरामल के हिसाब से वह अधिग्रहण करने के योग्य ही नहीं है। पीरामल ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को एक पत्र लिखकर कहा है कि ओकट्री कैपिटल राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) और आरबीआई द्वारा निर्धारित पूंजी पर्याप्तता की कसौटी पर खरी नहीं उतर पाएगी।
तीखे लहजे वाला यह पत्र उस समय लिखा गया है, जब संकट में फंसी डीएचएफल के लिए ओकट्री, पीरामल और अदाणी समूह की समाधान योजनाओं पर ऋणदाता मतदान करने ही वाले हैं। ओकट्री ने डीएचएफएल को अलग कंपनी के रूप में बनाए रखने का प्रस्ताव रखा है मगर पीरामल समूह उसे पहले ही दिन अपने वित्तीय सेवा कारोबार के साथ मिलाकर उसके इक्विटी आधार में अच्छा खासा इजाफा करना चाहता है। ऋणदाताओं की पिछली बैठक में पीरामल की पेशकश ओकट्री से ऊंची आंकी गई थी और इस पर मतदान 14 जनवरी को खत्म होगा।
पीरामल ने पत्र में कहा कि किसी भी आवास वित्त कंपनी के लिए टियर-1 और टियर-2 पूंजी पर्याप्तता नियमों पर खरा उतरना जरूरी है। आवास वित्त कंपनी की ऋण चुकाने की क्षमता और तरलता एवं कर्ज संबंधी जोखिम के कारण होने वाली प्रतिकूल घटनाओं से बचने के लिहाज से यह अनुपात अहम मापदंड है। राष्ट्रीय आवास बैंक ने जून, 2019 में पूंजी पर्याप्तता नियम कड़े किए थे। उसने कहा था कि आवास वित्त कंपनियों को न्यूनतम टियर-1 पूंजी पर्याप्तता बनाए रखनी होगी और उसे 6 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी करना होगा। कुल पूंजी पर्याप्तता की जरूरत मार्च 2022 तक चरणबद्ध तरीके से 12 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी की जानी है। पूंजी के स्तरों में यह बढ़ोतरी इसलिए की गई ताकि आवास वित्त कंपनियां भविष्य मेंं परिसंपत्ति से संबंधित जोखिमों को बेहतर तरीके से झेल सकें।
डीएचएफएल की टियर-1 पूंजी पहले ही पूरी तरह बट्टे खाते में डाली जा चुकी है और मौजूदा ऋणदाताओं को अपने कर्ज की बड़ी राशि बट्टे में डालनी होगी। इसलिए पीरामल ने कहा कि समाधान प्रक्रिया के बाद डीएचएफएल को टिकाऊ कारोबार खड़ा करने और पूंजी पर्याप्तता नियमों का पालन करने के लिए बड़ी मात्रा में टियर-1 पूंजी की दरकार होगी।
पीरामल ने कहा कि ओकट्री ने अपनी समाधन योजना में कहा है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से मंजूूरी मिलने के बाद 12 महीनों में वह इक्विटी, या गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर या सबऑर्डिनेटेड डेट के जरिये डीएचएफएल में 1,000 करोड़ रुपये की नई पूंजी लगाएगी। योजना में यह भी कहा गया है कि डीएचएफएल अपने ऋणदाताओं को सीनियर डेट के तौर पर 21,000 करोड़ रुपये के एनसीडी जारी करेगी।
पीरामल ने कहा कि इससे साफ है कि ओकट्री केवल बैलेंस शीट का पुनर्गठन कर रही है और कारोबार की वास्तविक पूंजी पर्याप्तता बढ़ानो तथा उसकी न्यूनतम पूंजी पर्याप्तता जरूरतें पूरी करने के लिए पहले ही दिन टियर-1 पूंजी झोंकने की उसकी कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘साफ है कि ओकट्री की समधान योजना को लागू करने से पूंजी पर्याप्तता की अनिवार्यता किसी भी तरह पूरी नहीं होगी। इस अहम पहलूू की प्रशासकों और उसके सलाहकारों ने पूरी तरह अनदेखी की है।’
पूंजी पर्याप्तता के प्रावधान पूरे नहीं हो पाने से डीएचएफएल का कारोबार कानूनों का उल्लंघन करेगा। इससे ओकट्री की समाधान योजना आईबीसी की धारा 30(2)(ई) की अनिवार्यताओं की अनुपालना नहीं करती है और इसे आईबीसी की धारा 30(3) के तहत ऋणदाताओं की समिति के पास मंजूरी के लिए पेश नहीं किया जा सकता है।
