प्रमुख फिनटेक कंपनी पेटीएम ने आज कहा कि उसने नवंबर तिमाही (तीसरी तिमाही) के पहले दो महीनों के दौरान कुल 1,320 करोड़ रुपये के 27 लाख ऋण वितरित किए जिसे त्योहारी सीजन से बल मिला। कंपनी के प्लेटफॉर्म के जरिये वितरित ऋण की संख्या में इस दौरान सालाना आधार पर 414 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जबकि वितरित ऋण के कुल मूल्य में 375 फीसदी का इजाफा हुआ।
कंपनी ने कहा, ‘हमने हरेक उधारी योजना यानी पेटीएम पोस्टपेड, पर्सनल लोन और व्यापारी ऋण में वृद्धि दर्ज की है। तिमाही के पहले दो महीनों के दौरान सकल मर्केंटाइज मूल्य (जीएमवी) में वृद्धि की रफ्तार जारी रही। उसे त्योहारी सीजन के दौरान दमदार प्रदर्शन से रफ्तार मिली जो त्योहारी सीजन के बाद भी जारी रही।’
तीसरी तिमाही के पहले दो महीनों के दौरान इस प्लेटफॉर्म का जीएमवी सालाना आधार पर 129 फीसदी बढ़कर करीब 1.7 लाख करोड़ रुपये (22.4 अरब डॉलर) हो गया।
पेटीएम के मासिक लेनदेन उपयोगकर्ताओं (एमटीयू) में वित्त वर्ष 2021 के दौरान लगातार वृद्धि हुई और वित्त वर्ष 2022 के पहले दो महीनों में भी वृद्धि जारी रही। वह प्रवृत्ति वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में भी जारी रही और पहले दो महीनों के दौरान औसत एमटीयू 6.32 करोड़ रहा। इस प्रकार एमटीयू में इस दौरान सालाना आधार पर 36 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
फिनटेक कंपनी द्वारा स्टोरों में तैनात किए गए भुगतान उपकरणों की संख्या नवंबर 2021 में बढ़कर 16 लाख हो गई और तीसरी तिमाही के पहले दो महीनों के दौरान इसमें 0.3 फीसदी की वृद्धि हुई। कंपनी ने कहा, ‘हमारे व्यापारियों के बीच तैनात किए गए भुगतान उपकरणों की कुल संख्या बढ़कर 30 नवंबर 2021 को करीब 16 लाख हो गई जो 30 सितंबर 2021 को करीब 13 लाख और 30 जून 2021 को 9 लाख थी।’
नवंबर में स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होते समय पेटीएम में निवेशकों की दिलचस्पी अधिक उत्साहजनक नहीं थी। फिनटेक कंपनी ने करीब तीन महीने पहले दूसरी तिमाही (सितंबर तिमाही) के वित्तीय नतीजे जारी किए थे। उसने तीसरी तिमाही के पहले दो महीनों के दौरान अपने परिचालन प्रदर्शन का खुलासा आज किया।
इससे पहले नवंबर में कंपनी ने कहा था कि सितंबर तिमाही में उसका शुद्ध घाटा सालाना आधार पर 11 फीसदी बढ़कर 482 करोड़ रुपये हो गया जबकि जून तिमाही के मुकाबले उसमें 28 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही के दौरान कंपनी का परिचालन राजस्व सालाना आधार पर 64 फीसदी बढ़कर 1,090 करोड़ रुपये हो गया। कुल खर्च इस दौरान बढ़कर 1,600 करोड़ रुपये हो गया जो एक साल पहले की समान अवधि में 1,170 करोड़ रुपये रहा था।
