बीएस बातचीत
जिंदल स्टील ऐंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) को अपने सभी कारोबार में उल्लेखनीय बदलाव दिख रहा है। इस्पात कारोबार में वृद्धि को घरेलू बाजार से रफ्तार मिल रही है और कंपनी ओमान में अपनी अंतिम विदेशी परिसंपत्ति की बिक्री के साथ ही अब घरेलू बाजार पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रही है। कोयले की आपूर्ति अब एक सहज स्थिति में है और इसलिए निजी खदानों के लिए बोली लगाने में आगे रहने वाली यह कंपनी वाणिज्यिक खनन नीलामी से दूर रह सकती है। जेएसपीएल के प्रबंध निदेशक वीआर शर्मा ने अदिति दिवेकर और श्रेया जय से बातचीत में विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश:
देश में लॉकडाउन खत्म होने के साथ ही घरेलू बाजार में इस्पात की मांग कैसी दिख रही है?
घरेलू बाजार में इस्पात की मांग में निश्चित तौर पर तेजी आई है खास तौर पर बुनियादी ढांचा क्षेत्र से जिसमें पाइप और सिंचाई उद्योग भी शामिल हैं। साथ ही रक्षा क्षेत्र के निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जिससे वृद्धि को रफ्तार मिली है। हालांकि श्रमिकों की उपलब्धता जैसी कुछ समस्याएं बरकरार हैं लेकिन भारतीय रेल का परिचालन पूरी तरह सुचारु होने के बाद इस प्रकार की सस्याएं खत्म होने के आसार हैं।
मौजूदा वैश्विक महामारी के बीच जेएसपीएल की बिक्री कैसी है?
हम अभी भी करीब 30 फीसदी उत्पादन का निर्यात कर रहे हैं और शेष उत्पादन की बिक्री घरेलू बाजार में कर रहे हैं। हम दक्षिण पूर्व एशिया के मुकाबले यूरोप और पश्चिम एशिया में कहीं अधिक निर्यात कर रहे हैं। इस प्रकार चीन पर हमारी निर्भरता काफी कम हो चुकी है। घरेलू बाजार में मूल्यवद्र्धित श्रेणी में कुछ ऐसे ग्रेड हैं जहां जिंदल स्टील को किसी तरह की प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ता है। वहां हम सीधे तौर पर जापात, कोरिया अथवा यूरोप से प्रतिस्पर्धा करते हैं। आज हमारे उत्पाद पोर्टफोलियो में 50 फीसदी से अधिक मूल्यवद्र्धित उत्पाद शामिल हैं।
ओमान में कारोबार की बिक्री के बाद वैश्विक बाजार में आपकी मौजूदगी नहीं रह गई है। विदेशी और घरेलू बाजार में आपकी विस्तार योजनाएं क्या हैं?
ओमान परिसंपत्ति की बिक्री से हमें अपने बहीखाते को दुरुस्त करने में मदद मिली है। फिलहाल देश के बाहर खर्च करने में हमारी बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है। भारत में हमारी वृद्धि दमदार रही है और वास्तव में पूरी दुनिया भी अब भारत की ओर देख रही है। यहां भी हम अपनी क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करना चाहते हैं और फिलहाल विस्तार करने की कोई योजना नहीं है। हम अपनी उपयोगिता को बढ़ाकर वित्त वर्ष 2021 तक 75 लाख टन और वित्त वर्ष 2022 तक 85 लाख टन करने की योजना बना रहे हैं। घरेलू बाजार में भी फिलहाल कोई पूंजीगत व्यय नहीं किया जाएगा। केवल आवश्यकता के अनुसार ही खर्च करने की योजना है।
ओमान परिसंपत्ति की बिक्री के बाद ऋण बोझ में कितनी कमी आई है? बहीखाते को हल्का करने के लिए आपकी क्या योजना है?
ओमान परिसंपत्ति की बिक्री के बाद हमारी पहली प्राथमिकता ऋण बोझ को घटाने की है। अप्रैल 2020 में हमारा ऋण बोझ 34,000 करोड़ रुपये का था। इसे हम वित्त वर्ष 2021 के अंत तक घटाकर 23,000 से 24,000 करोड़ रुपये तक ले आएंगे जिसमें ओमान परिसंपत्ति की बिक्री से प्राप्त रकम भी शामिल होगी। इसके अलावा वित्त वर्ष 2023 तक ऋण बोझ को घटाकर 15,000 करोड़ रुपये के स्तर तक लाने और एबिटा को बढ़ाकर 12,000 करोड़ रुपये करने के साथ ही कुल कारोबार को करीब 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने की योजना है।
आपने इस्पात कारोबार को अलग करने की योजना बनाई थी। उसकी क्या स्थिति है?
फिलहाल उस मुद्दे पर बातचीत और चर्चा हो रही है। हम उस पर चर्चा कर रहे हैं और अगले सोमवार तक हम बोर्ड के सामने इसे प्रस्तुत करने के बाद कोई निर्णय ले लेंगे।
क्या आप सरकार द्वारा की जा रही वाणिज्यिक कोयला नीलामी के तहत कोयला खदान हासिल करना चाहते हैं?
कोयला खदान में अब किसी की भी दिलचस्पी नहीं है। हम उसमें भाग लेंगे लेकिन फिलहाल वह हमारे लिए कोई गेम प्लान नहीं है। कोयला अब आसानी से उपलब्ध है और अगले कुछ वर्षों तक उसकी आवश्यकता होगी। मुझे विश्वास है कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी भारतीय कोयला खदान में दिलचस्पी नहीं दिखाएंगी क्योंकि उसमें राख की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा वे इसका निर्यात भी नहीं कर सकतीं क्योंकि उसकी लागत अधिक होगी। भारतीय कोयले की बिक्री अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नहीं की जा सकती है। इसका केवल घरेलू स्तर पर ही उपयोग हो सकता है। केंद्र सरकार को इसे मुफ्त में उद्योग को देना चाहिए और उसे महज परिवहन लागत पर उपलब्ध होना चाहिए।