संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज कहा कि भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 का मसौदा वायरलेस प्लानिंग कोऑर्डिनेशन (डब्ल्यूपीसी) उन सुधारों पर आधारित है, जिनका मकसद परमिट के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों की प्रक्रिया को अधिक कुशल और भौतिक हस्तक्षेप रहित करना है।
वैष्णव ने कहा कि मसौदा विधेयक लाइसेंस के लिए लगने वाला समय घटाकर 28 दिन कर देगा और एक ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिये लाइसेंस संबंधी सुधारों में मदद करेगा। उन्होंने गुरुवार को पब्लिक अफेयर्स फोरम ऑफ इंडिया (पीएएफआई) के नौवें वार्षिक सम्मेलन में कहा कि इससे अब कागजी कार्रवाई और राइट ऑफ वे (कानूनी अधिकार) अनुमति प्राप्त करने की अवधि कम होकर छह से सात दिन रह जाएगी।
मंत्री ने कहा कि कारोबारों के लिए देश में अपने निवेश की योजना बनाने के वास्ते ये सुधार जरूरी थे। यह दूरसंचार विभाग द्वारा आंतरिक रूप से की जा रही जीर्णोद्धार कवायद का हिस्सा है क्योंकि इसमें प्रक्रियाओं को सरल बनाने और उद्योग को कारोबार सुगमता में आसानी प्रदान करने पर ध्यान दिया जा रहा है।
राइट ऑफ वे दूरसंचार (आरओडब्ल्यू) नेटवर्क स्थापित करने और दूरसंचार सेवाओं में सुधार के लिए पहली जरूरत होती है। दूरसंचार क्षेत्र की बुनियादी अवसंरचना के तेजी से विस्तार में आने वाली बाधाओं को दूर करने में राइट ऑफ वे रूल्स, 2016 पर आधारित मौजूदा नियामकीय ढांचे का सीमित असर रहा है।
सरकार ने कहा है कि 5जी जैसी नई प्रौद्योगिकियों को तेजी से लागू करने के लिए राइट ऑफ वे प्राप्त करने वाला प्रभावी तंत्र जरूरी होगा। दूरसंचार बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए एक समान और भेदभाव रहित तरीके से आरओडब्ल्यू प्राप्त करने के लिए मसौदा दूरसंचार विधेयक संघीय ढांचे के भीतर एक मजबूत नियामकीय संरचना का प्रावधान करता है।