तेजी से बढ़ रही कच्चे तेल की कीमतों की चिंता से अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तरों से 5 प्रतिशत गिर चुके पेंट कंपनियों के शेयरों की चमक फिर से बढ़ रही है। विश्लेषकों का कहना है कि जहां ऊंची तेल कीमतों का परिचालन मुनाफे पर प्रभाव पड़ेगा, वहीं ये कंपनियां इसका प्रबंधन करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।
पिछले सप्ताह, तेल कीमतें मार्च से अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर पहुंच गईं। कोरोनावायरस टीके को लेकर सकारात्मक खबरों के बाद वैश्विक आर्थिक सुधार की उम्मीद से तेल कीमतों में तेजी आई है। अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतें एक महीने में 25 प्रतिशत तक चढ़ी हैं। कच्चे तेल और उसके डेरिवेटिव का पेंट कंपनियों की लागत में करीब 50 प्रतिशत का योगदान है। तेल कीमतों और पेंट कंपनियों के परिचालन लाभ का विपरीत संबंध है। इसलिए, तेल कीमतों में नरमी से परिचालन लाभ में इजाफा होता है। कमजोर कच्चे माल की कीमतों और कुल लागत नियंत्रण से पेंट कंपनियों को सितंबर तिमाही में अपना सर्वाधिक परिचालन मार्जिन दर्ज करने में मदद मिली।
ऐक्सिस कैपिटल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (उपभोक्ता क्षेत्र) आनंद शाह ने कहा, ‘जहां कच्चे तेल की ऊंची कीमतों का अल्पावधि में सकल मार्जिन पर प्रभाव पड़ सकता है, वहीं हमें मध्यावधि को लेकर किसी बड़े प्रभाव की आशंका नहीं दिख रही है, क्योंकि पेंट कंपनियां मजबूत मूल्य निर्धारण ताकत से संपन्न हैं।’ दूसरी बात यह है कि मार्जिन में कुछ सुधार का भी बाजार पर असर दिखा है।
ग्रिफॉन एडवाइजर्स के सह-संस्थापक आनंद टंडन ने कहा, ‘चूंकि व्यवसाय कोविड-पूर्व स्तरों पर लौट चुके हैं, इसलिए इस तरह के मजबूत मार्जिन अस्थिर साबित होंगे, क्योंकि इन लागत दक्षताएं काफी हद तक कमजोर हो रही हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि भविष्य में मार्जिन सामान्य हो सकता है।’
इसके अलावा, अन्य कारक भी हैं जिनसे लागत दबाव कम करने में मदद मिल सकती है।
अक्टूबर के दौरान मुंबई महानगर क्षेत्र में आवासीय परिसंपत्तियों की बिक्री सालाना आधार पर 36 प्रतिशत बढ़ी। नाइट फ्रैंक ने कहा है, ‘इसवृद्घि के लिए सबसे बड़े कारकों में स्टांप शुल्क में 300 आधार अंक तक की कमी आना भी शामिल है। इससे नई आवास खरीदारी में कुल खर्च में बड़ी कमी आई है।’ उसने कहा है कि आवास ऋण दरों में कमी से घर खरीदारों की ऋण क्षमता से भी बिक्री वृद्घि को बढ़ावा मिला है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि ग्रामीण बिक्री का पेंट कंपनियों के राजस्व में 60 प्रतिशत का योगदान है। अच्छे मॉनसून के साथ साथ सरकारी समर्थन और महामारी में नरमी (बड़े शहरों के मुकाबले) आने से भी छोटे शहरों और कस्बों से पेंट की मांग तेजी से सुधरी है। कंपनी प्रबंधन ने अपनी विश्लेषक रिपोर्ट में भी इन क्षेत्रों के लिए मांग कोविड से पहले जैसे स्तरों पर लौटने की बात कही है और तेजी बरकरार रहने का भरोसा जताया है, क्योंकि मॉनसून के बाद पेंट की मांग बनी हुई है।
हालांकि पिछले 12 महीनों के दौरान इन शेयरों में आई तेजी की वजह से मूल्यांकन लगातार महंगा बना हुआ है। लेकिन विश्लेषक इस क्षेत्र पर कुछ हद तक उत्साहित बने हुए हैं।
