भारत की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी ओएनजीसी की विदेशी कंपनी ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) ईरान के उत्तरी हिस्से में कैस्पियन सागर के पास तेल ब्लॉक के लिए वहां की सरकार से बातचीत कर रही है।
समझा जाता है कि चीन की दिग्गज तेल कंपनी सिनोपेक भी इस तेल ब्लॉक की दौड़ में है। हालांकि इसकी स्वतंत्र रुप से पुष्टि नहीं हुई है। ईरान के एक अधिकारी ने कहा, ‘ उत्तरी ईरान में तेल ब्लॉक के लिए ओवीएल हमसे बातचीत कर रही है। चीन की भी एक कंपनी इसमें दिलचस्पी ले रही है।’
ओएनजीसी और ओवीएल के अधिकारियों ने भी इस तरह के किसी खास प्रस्ताव पर ये कहते हुए टिप्पणी से इनकार कर दिया कि ओवीएल हमेशा ही दुनियाभर में संपत्ति के अधिग्रहण की तलाश में रहती है।
भारत अपनी तेल जरूरतों का 70 प्रतिशत आयात करता है और एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की तेल जरूरतों के लिए ओवीएल विदेशों में तेल संपत्तियां जुटाने के प्रयास में लगी हुई है। हाल में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एकीकृत ऊर्जा नीति को मंजूरी दी है, जिसमें विदेशों की ऊर्जा संपत्तियां खरीदने पर जोर दिया गया है।
दुनियाभर के 17 देशों में ओवीएल 37 तेल और गैस संपत्तियों से जुड़ी हुई है। उसके पास रुस, सूडान, सीरिया, वियतनाम और कोलंबिया में छह संपत्तियां हैं, जिनसे वह तेल और गैस निकालती है। कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष में छह देशों में 11 तेल संपत्तियां अधिग्रहित की थी।
अगस्त में ओवीएल ब्रिटेन की कंपनी इंपीरियल एनर्जी को खरीदने पर सहमत हो गई थी। इस कंपनी के पास रुस और कजाकस्तान में 2.8 अरब डॉलर की परिसंपत्तियां हैं। कंपनी इस सौदे के लिए फिलहाल रुस की सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रही है।
ओवीएल ने ईरान के फारसी ब्लॉक के अपतट में ऑयल इंडिया और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के साथ तेल और गैस की खोज की थी। कंपनी ईरान में दूसरे तेल और गैस ब्लॉक लेने की कोशिश में भी लगी है।
यह ब्लॉक दुनिया के सबसे बड़े गैस क्षेत्र दक्षिणी पार्स में है। इस ब्लॉक से तेल और गैस के लिए तीनों कंपनियों को ईरान की मंजूरी का इंतजार है। ईरान के अधिकारी ने कहा,’सरकार ओवीएल को यह सौदा देने पर विचार कर रही है, क्योंकि उन्होंने ही तेल और गैस खोजे हैं।’