रूस-यूक्रेन युद्ध ने इन दोनों देशों द्वारा उत्पादित औद्योगिक धातुओं की आपूर्ति में व्यवधान की आशंका पैदा कर दी है। हालांकि कच्चे माल की लागत में तेजी और लौह एवं गैर-लौह धातुओं की मांग आपूर्ति से अधिक होने के कारण कीमतों में तेजी आएगी। अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी एक्सचेंज पर इस रुझान को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। यही कारण है कि उत्पादकों ने दाम बढ़ा दिए हैं।
रूस लौह अयस्क, उच्च ग्रेड कोयला व निकेल का निर्यात करता है और ये सभी इस्पात उत्पादन के लिए काफी महत्त्वपूर्ण हैं। वह इस्पात उत्पादन करने वाला दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है। साल 2020 में उसकी इस्पात उत्पादन क्षमता 7.34 करोड़ टन सालाना थी। इसके अलावा वह 2,50,000 टन निकेल के उत्पादन के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा निकेल उत्पादक देश है। यूक्रेन भी इस्पात का उत्पादन और निर्यात करता है। कुल मिलाकर ये दोनों देश सालाना 42 करोड़ टन के निर्यात में करीब सालाना 4.5 करोड़ टन का योगदान करते हैं। रूस और यूक्रेन से इस्पात का प्रमुख आयातक यूरोपीय संघ है। ऐसे में यह टाटा स्टील के लिए निश्चित तौर पर एक अवसर है। भारतीय इस्पात उद्योग ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में अच्छे वित्तीय नतीजे दर्ज किए हैं। मौजूदा परिदृश्य में इस्पात उद्योग की रफ्तार आगे भी बरकरार रहने की उम्मीद है क्योंकि घरेलू प्राप्तियों के साथ-साथ निर्यात की संभावनाएं भी अच्छी दिख रही हैं। युद्ध शुरू होने से पहले जनवरी और फरवरी के दौरान गिरावट के बाद पिछले महीने इस्पात की विभिन्न श्रेणियों की कीमतों में 3 से 11 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
इस्पात उद्योग के लिए पिछली छह तिमाही काफी दमदार रहीं क्योंकि इस दौरान उसे अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी का लाभ मिला। भारतीय उत्पादकों ने अपने ऋण बोझ को हल्का किया और उनके बहीखाते में सुधार हुआ। इस्पात उद्योग का समेकित ऋण बोझ घटकर वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में 2 लाख करोड़ रुपये रह गया जो एक साल पहले 2.6 लाख करोड़ रुपये रहा था। पिछले छह महीनों के दौरान उसमें और कमी हुई है।
वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही के दौरान जिंदल स्टील ऐंड पासर (जेएसपीएल) के ऋण बोझ में 70 फीसदी, सेल के ऋण बोझ में 50 फीसदी और टाटा स्टील के ऋण बोझ में 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। समेकित उद्योग के लिए शुद्ध ऋण बनाम एबिटा अनुपात एक दशक के निचले स्तर पर है।
इक्रा ने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2023 में घरेलू इस्पात की मांग में तेजी जारी रहेगी जिससे पूंजीगत खर्च योजनाओं को बल मिलेगा। रूस और यूक्रेन के बीच जंग के कारण निर्यात में भी तेजी दिखनी चाहिए। इसके अलावा चीन सहित अन्य क्षेत्रों में उत्सर्जन कम करने संबंधी योजनाओं से भी इस्पात की मांग बढ़ेगी। हालांकि चीन की मांग में भी गिरावट आई है और यदि रियल एस्टेट क्षेत्र में संकुचन दिखा तो उसमें और गिरावट आएगी।
पिछले 30 दिनों के दौरान निफ्टी धातु सूचकांक में 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी में 10.8 फीसदी की गिरावट आई है। यह धातुओं में काउंटर-साइक्लिकल हेजिंग की ओर इशारा करता है। उद्योग में सबसे अधिक फायदा टाटा स्टील को होगा जो 10.75 फीसदी ऊपर है। रत्नमणि मेटल्स में 10.4 फीसदी, जेएसपीएल में 5.9 फीसदी और एनएमडीसी में 2 फीसदी की तेजी है। सेल और जेएसडब्ल्यू स्टील के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई है लेकिन समग्र बाजार में उनका प्रदर्शन बेहतर है।
