फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्युचुअल फंड को 500 करोड़ रुपये से ज्यादा प्रबंधन शुल्क लौटाने के बाजार नियामक सेबी के आदेश से 32 लाख करोड़ रुपये प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति वाले उद्योग में सख्ती से अनुशासन सुनिश्चित कर सकता है। ऐसा बाजार पर नजर रखने वालों का मानना है। उद्योग की कंपनियों ने कहा कि ज्यादातर म्युचुअल फंड सेबी के आदेश के आलोक में अपनी निवेश प्रक्रिया पर नजर डाल सकते हैं।
2018 के आईएलऐंडएफएस संकट और उच्च कोटि के अन्य कॉरपोरेट डिफॉल्ट के बाद फंड मैनेजरों पर नियामकीय सख्ती आदि बढ़ी है। विशेषज्ञोंं ने कहा, हालांकि सेबी का हालिया कदम उद्योग को अपनी व्यवस्था और मजबूत करने के लिए बाध्य करेगा। नकदी प्रबंधन और निवेश की बेहतर प्रक्रिया से जुड़े रहने को रिटर्न के मुकाबले प्राथमिकता मिल सकती है।
वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार ने कहा, यह फंड मैनेजरों के लिए सबक है कि जोखिम व रिटर्न पर नियंत्रण की तरह ही नकदी का प्रबंधन भी उतनी ही अहमियत रखता है। मुझे लगता है कि फंड मैनेजर डेट फंडों के प्रबंधन में अत्यधिक जोखिम लेने से बचेंगे और वे तरल परिसंपत्तियों में निवेश बढ़ाएंगे। इससे रिटर्न में गिरावट आ सकती है।
सेबी ने अप्रैल 2020 में बंद हो चुकी छह डेट योजनाओं के संचालन में फ्रैंकलिन म्युचुअल फंड की तरफ से कई अनियमितताएं पाई हैं और इसलिए उस पर जुर्माना लगाया है। सेबी ने आदेश में कहा है, फ्रैंकलिन एमएफ अपनी अन्य डेट योजनाओं का संचालन क्रेडिट रिस्क फंड योजना की तरह कर रही थी, जो योजना के निवेश के मकसद की अवहेलना करता है।
आदेश में यह भी कहा गया है कि फ्रैंकलिन एमएफ ने इलिक्विड प्रतिभूतियों में निवेश उचित जांच परख के बिना किया और इस तरह का निवेश किया जो इश्यू करने वालों को कर्ज देने के समान है।
फ्रैंकलिन एमएफ ने पिछले साल अप्रैल में अपनी छह डेट योजनाओं को बाजार की गंभीर स्थिति और कोविड महामारी के कारण पैदा हुई तरलता की दिक्कत के कारण बंद कर दिया था।
उद्योग की कंपनियों ने कहा कि फ्रैंकलिन एमएफ का घटनाक्रम उद्योग का व्यवहार बदल देगा। कुमार ने कहा, पिछले साल जब संकट खड़ा हुआ था तब एफटी के पास वैल्यू से नीचे निवेश बेचने का विकल्प था और उसे एनएवी को धराशायी होने देना चाहिए था और निवेशकों को रकम वापस करनी चाहिए थी। हालांकि उन्होंने फंड पर रोक लगाने का विकल्प चुना। आने वाले समय में अगर ऐसा दोबारा होता है तो फंड हाउस प्रतिभूतियों को छूट पर बेच सकते हैं और निवेशकों की रकम लौटा सकते हैं।
कॉरपोरेट ट्रेनर और लेखक जयदीप सेन ने कहा, आदेश बताता है कि फंड हाउस को नियम से चलना चाहिए और ऐसा कुछ नहींं करना चाहिए जिससे निवेशकों को लाभ की संभावना हो सकती है। अगर एफटी ने पिछले साल संकट के समय प्रतिभूतियां बेची होती तो निवेशकोंं को कम रिटर्न मिलता। लेकिन उन पर कोई जुर्माना नहीं लगता क्योंकि यह काम वे नियम के मुताबिक करते।
देसी फंड मैनेजरों ने कहा कि सेबी ने सही तरीका अपनाया है और उसकी कार्रवाई अन्य फंड हाउस को अनुचित जोखिम लेने से रोकेगा। अपने आदेश में सेबी ने कहा है कि फ्रैंकलिन ने दबाव वाले क्षेत्रों और एस्सेल, रिलायंस एडीएजी व एडलवाइस में निवेश किया जबकि खतरे का संकेत आ चुका था।
एक फंड मैनेजर ने कहा, हम गलत करके भाग नहीं सकते। अगर निवेशकों के हित के खिलाफ गलत फैसला लिया गया है तो उसे नियामकों के कोप का सामना करना होगा।
