कई रुकावटों और ऊहापोह के बाद अब जाकर सॉफ्टवेयर दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट को राहत की सांस मिल सकती है।
इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर स्टैंडर्डाइजेशन (आईएसओ) ने कंपनी के ऑफिस ओपन एक्सएमएल (ओओएक्सएमएल) फाइल फॉर्मेट को अंतर्राष्ट्रीय मानक के तौर पर समर्थन एवं दर्जा दिए जाने को चुनौती देने वाली अपीलों को खारिज कर दिया है।
भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और वेनेजुएला ने इस फाइल फॉर्मेट के खिलाफ सामूहिक रूप से अपील की थी। आईएसओ का यह फैसला ओओएक्सएमएल को अंतर्राष्ट्रीय मानक के तौर पर आखिरी मुहर साबित हो सकता है और अगले कुछ सप्ताह के अंदर इस प्रक्रिया को पूरा कर लिए जाने की संभावना है।
आईएसओ ने संबद्ध देशों को ओओएक्सएमएल को अंतर्राष्ट्रीय मानक के तौर पर समर्थन दिए जाने के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए दो महीने का वक्त दिया था। इसके जवाब में राष्ट्रीय मानक संस्था के चार सदस्य देश ब्राजील, भारत, दक्षिण अफ्रीका और वेनेजुएला आगे आए थे।
एपल, नोवेल, विप्रो, इन्फोसिस, टीसीएस और नैसकॉम ने माइक्रोसॉफ्ट के ओओएक्सएमएल फाइल फॉर्मेट का समर्थन किया था। दूसरी तरफ आईबीएम, सन माइक्रोसिस्टम्स, रेड हैट, गूगल, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीआईटी), नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी), सीडैक, आईआईटी-मुंबई और आईआईएम-अहमदाबाद ओपन डॉक्यूमेंट फॉर्मेट (ओडीएफ) के समर्थन में आगे आए।
भारत ने इस सॉफ्टवेयर कंपनी के ओओएक्सएमएल को लेकर अपना रवैया बरकरार रखा है। इस फाइल फॉर्मेट को भारत का समर्थन नहीं मिला है। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने सितंबर में भी ओओएक्सएमएल को लेकर अपनी सहमति नहीं दी थी।
जहां ओडीएफ के समर्थक ओओएक्सएमएल को ‘मल्टीपल स्टैंडर्ड’ के लिहाज से सही नहीं बता रहे हैं वहीं माइक्रोसॉफ्ट यह तर्क पेश कर रही है कि ओओएक्सएमएल को ईसीएमए इंटरनेशनल की ओर से पहले ही पंजीकृत मानक हासिल हो चुका है।
विश्लेषकों के जानकारों के मुताबिक बाजार में उत्पाद प्रतिस्पर्धा को लेकर बहस तेज होगी। आईएसओ की मंजूरी का असर माइक्रोसॉफ्ट के सरकारी कारोबार पर भी स्पष्ट रूप से दिखेगा। भारत समेत दुनिया की अधिकांश सरकारें आईएसओ जैसी संस्थाओं की ओर से तय किए गए मानकों को तरजीह देना पसंद करती हैं।
सरकारें डिजिटल डाटा के लिए फाइल फॉर्मेट को लेकर सतर्क हैं। दिल्ली और केरल जैसे अधिकांश राज्य ओडीएफ फाइल फॉर्मेट का इस्तेमाल करते हैं जो मुक्त और कुछ मेंटेनेंस खर्च को छोड़ कर नि:शुल्क भी है।
ओओएक्सएमएल पुराण
भारत, ब्राजील और वेनेजुएला ने नहीं किया था समर्थन
एपल, नोवेल, विप्रो, इन्फोसिस और टीसीएस ने किया था समर्थन
आईबीएम, गूगल, आईआईटी मुंबई और आईआईएम अहमदाबाद ने भी किया था विरोध
ईसीएम इंटरनेशनल से मिल चुकी है हरी झंडी