रूस की एंटी मोनोपोली सर्विस से हरी झंडी पाने के बाद भारत की तेल-गैस दिग्गज ओएनजीसी को यकीन हो गया है कि ब्रिटेन में सूचीबद्ध कंपनी इंपीरियल एनर्जी का अधिग्रहण वह तय समय में ही कर लेगी। इसके लिए अगले साल 30 जून तक की मियाद तय की गई है।
ओनएजीसी के वरिष्ठ अधिकारियों और डॉयचे बैंक ने कहा कि इस सौदे की राह में अड़ी सभी बड़ी मंजूरियां कंपनी को पहले ही हासिल हो चुकी हैं। बाकी मंजूरियां अब औपचारिकता भर ही रह गई हैं।
रूस ने कहा है कि उसके यहां मौजूद संपत्तियां इंपीरियल की ही हैं और उनका सामरिक महत्व नहीं है। इसके अलावा इस अधिग्रहण से उसके यहां कारोबारी माहौल पर असर नहीं पड़ेगा। इसीलिए इस सौदे से उसे कोई ऐतराज नहीं है।
निवेश बैंक के एक सूत्र ने कहा, ‘ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि ब्रिटेन के अधिग्रहण कानून के तहत ओएनजीसी के लिए कीमत पर दोबारा बातचीत करना या सौदे से बाहर आना अब असंभव है।’
इसके अलावा ओएनजीसी की विदेशी सहायक कंपनी ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) पहले ही इंपीरियल में 15 फीसद हिस्सेदारी ले चुकी है। ऐसी हालत में इस सौदे से बाहर जाना तभी संभव है, जब रूसी प्रशासन कंपनी को मंजूरी नहीं दे।
हालांकि रूस की तरफ से मंजूरी में हुई देर भी ओएनजीसी के लिए वरदान ही साबित हुई है। मंदी के बीच ब्रिटेन की मुद्रा में तकरीबन 20 फीसद की गिरावट आई है, इसलिए अधिग्रहण में अब कंपनी के तकरीबन 50 करोड़ डॉलर बच जाएंगे।
पहले इंपीरियल की कीमत लगभग 2,600 करोड़ डॉलर लगाई गई थी, लेकिन अब वह घटकर केवल 2,100 करोड़ डॉलर रह गई है। सौदे के मुताबिक ओएनजीसी स्टर्लिंग में भुगतान करेगी, जिसकी कीमत कम हुई है।